बाड़मेर. क्रेडिट कॉपरेटिव सोसायटी का मायाजाल बाड़मेर में 2007 में आए आर्थिक बूम का नतीजा है। खनिज एवं तेलक्षेत्र के लिए जमीन अवाप्ति के बाद बेहिसाब आए रुपयों ने बाड़मेर की ओर जहां बैंकों को ललचाया, वहीं क्रेडिट कॉ-ऑपरेटिव सोसायटी खड़ी कर बाड़मेर से अधिकतम रुपयों को लेना पहला लक्ष्य रहा और फिर रुपया बढ़ा तो जोधपुर संभाग, राजस्थान, गुजरात होते हुए मायानगरी मुंबई तक जाल फैला दिया। एक कमरे से शुरू हुआ ऑफिस मल्टीस्टेट तक हो गया।
भादरेस में कोयला, बायतु में मंगला प्रोसेसिंग टर्मिनल, छठा वेतन आयोग और इधर कृषि क्षेत्र में जीरे की कमाई ने बाड़मेर पर रुपयों की बारिश कर दी। 50 से अधिक बैंकों ने अपने कार्यालय बाड़मेर में खोले। सबका लक्ष्य इस रुपयों को अपने यहां जमा करना था।
इसी दौर में क्रेडिट कॉ-ऑपरेटिव सोसायटी का खेल शुरू हुआ। रायकॉलोनी के एक छोटे से कमरे में 28 फरवरी 2008 को संजीवनी का पंजीकृत होने के बाद कार्यालय खुला। संजीवनी के बाद पचास से अधिक क्रेडिट सोसायटियां जिलेभर में खुली।
2012 तक बाड़मेर पर रही नजर
2012 तक जमीनों में बूम और आर्थिक तेजी में क्रेडिट सोसायटी की नजर बाड़मेर पर ही रही। इसमें बड़ी जमाएं सर्वाधिक ली गई और इसी तेजी के दौर में बड़े शहरों में सोसायटी मालिकों ने रुपयों को तत्काल निवेश किया। इस दौरान खरीद फरोख्त में चांदी भी कूटी। संजीवनी क्रेडिट कॉपरेटिव मल्टीस्टेट होने से मार्च 2012 में बाड़मेर से रजिस्ट्रेशन रद्द कर केन्द्र सरकार से करवाया गया।
2012 में बाड़मेर से बाहर
2012 में जब सोसायटी ने पांच साल में अच्छा-खास धन जमा कर लिया तो फिर दूसरा लक्ष्य बाड़मेर से बाहर जाने का रूख किया। देखते ही देखते राजस्थान, गुजरात और अन्य राज्यों में पहुंच गए। 2014 तक मायानगरी मुम्बई में भी कार्यालय खोल दिए।
पहले रजिस्ट्रेशन में सभी रिश्तेदार
2007 में संजीवनी क्रेडिट कॉ-ऑपरेटिव सोसायटी का पंजीकरण बाड़मेर में हुआ। इसमें पूर्णसिंह अध्यक्ष व विक्रमसिंह सचिव था। इसके अलावा सभी रिश्तेदार एवं मित्र इसमें सदस्य बने।
Source: Barmer News