Bipolar Disorder : यदि आप लगातार कम से कम सात दिन तक अत्यधिक खुश है। खुशी में खुद का मूल काम छोड़कर दूसरे काम कर रहे हैं। गैर जरूरी चीजों पर रुपए खर्च कर रहे हैं। दिन-रात काम कर रहे हैं और थक भी नहीं रहे। तो आप बाइपोलर डिसऑर्डर के शिकार हो गए हैं। यह एक ऐसी बीमारी है, जिसमें व्यक्ति अत्यधिक खुश भी होता है और अत्यधिक दुखी होने पर उदास भी हो जाता है। एम्स की मनोविकार ओपीडी में प्रतिदिन ऐसे 5 से 10 रोगी आ रहे हैं। सर्वाधिक रोगी 20 से 40 वर्ष की उम्र के हैं। डॉक्टर ऐसे मरीजों को मूड ठीक करने का ट्रीटमेंट देते हैं।
क्या है बाइपोलर डिसऑर्डर
बाइपोलर डिसऑर्डर एक मानसिक बीमारी है। इसमें 1000 भारतीयों में से 3 लोग पीड़ित हैं। इस बीमारी में व्यक्ति के मूड में अचानक और अनियंत्रित परिवर्तन मिलते हैं जो उनकी मूल स्थिति से स्पष्ट रूप से भिन्न होते हैं। ये मूड के परिवर्तन अक्सर कुछ हफ्तों या महीनों तक रहते हैं। विश्व में हर साल 30 मार्च को बाइपोलर डिसऑर्डर डे मनाया जाता है।
दो प्रकार का होता है बाइपोलर
जोधपुर एम्स की सीनियर रेजिडेंट डॉ. काव्या रावत ने बताया कि बाइपोलर डिसऑर्डर दो तरह का होता है। तेजी की स्थिति मेनिया और उदासी की स्थिति डिप्रेशन कहलाती है। अक्सर बीमारी के दौरों के बीच मरीज अपनी सामान्य स्थिति में रहता है।
बीमारी के लक्षण
1. मेनिया: मन बिना कारण बहुत खुश या चिड़चिड़ा होना, बड़ी बड़ी बातें करना, अत्यधिक बातें करना, नींद की जरूरत कम पड़ना, शरीर में तेजी आना, फिजूज खर्चे करना, अनजान लोगो से बहुत जल्दी घुल मिल जाना, ज्यादा देर तक कोई चीज पर ध्यान न रख पाना एवं अत्यधिक आत्मसम्मान महसूस होना।
2. डिप्रेशन: मन उदास रहना, किसी काम को करने के लिए ऊर्जा न होना, गुमसुम रहना, नींद न आना, थकान महसूस होना, भूख न लगना, किसी काम में मन न लगना, नकारात्मक विचार आना, आत्महत्या के विचार आना।
बीमारी के कारण : अत्यधिक दर्दनाक यादें, आनुवंशिक, मस्तिष्क के न्यूरोट्रांसमीटर में बदलाव, तनावपूर्ण जीवन
सामान्य डिप्रेशन के साथ यदि मेनिया के लक्षण भी है तो उसे बाइपोलर डिसऑर्डर है यानी मन की दोनों अवस्थाएं एक्सट्रीम रहती है। पुरुषों में मेनिया अधिक और महिलाओं में डिप्रेशन अधिक होता है। मेनिया वाले व्यक्ति को खुद बीमारी का पता नहीं चलता है, लेकिन आसपास के लोगों को बीमारी के बारे में महसूस हो जाता है। अत्यधिक खुशी यानी मेनिया में लोग अपना नुकसान ही करते हैं।
– डॉ. नवरतन सुथार, एसोसिएट प्रोफेसर, मनोविकार विभाग, एम्स जोधपुर
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Source: Jodhpur