रतन दवे
बाड़मेर. बाड़मेर, जैसलमेर और बीकानेर के थार के रेगिस्तान से लेकर गुजरात के कच्छ तक हाईटेंशन लाइनें मूक परिंदों की जान की दुश्मन बनी हुई हैं। इस कारण इन हाईटेंशन लाइनों को ‘शिकारी तार’ कहा जाने लगा है। वर्ष 2020 में वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की ओर से जैसलमेर जिले के करीब 4000 वर्ग किमी क्षेत्र में कराए गए सर्वे के मुताबिक केवल जैसलमेर जिले में 87 हजार 966 पक्षियों की बिजली के तारों से टकराने और करंट की चपेट में आने से मौत हुई।
गोडावण की सुरक्षा को लेकर हुए इस सर्वे में सामने आया कि जैसलमेर के डेजर्ट नेशनल पार्क (राष्ट्रीय मरू उद्यान) इलाके के लगते क्षेत्र में एक साल में इन पक्षियों की मौत हुई है। इन आंकड़ों के सामने आने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इन तारों को जमीन में गाडऩे (भूमिगत करने) के आदेश दिए थे, लेकिन इसे गंभीरता से नहीं लिया गया।
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सौर व पवन ऊर्जा के बढ़ते जाल में अब हाल यह हो गया है कि रेगिस्तान में हाईटेंशन लाइनों का जाल बिछता गया और इसके शिकार पक्षी हो रहे हैं। बाड़मेर व जैसलमेर में सौर और पवन ऊर्जा का जाल बढ़ता जा रहा है। पावर प्रोजेक्ट भी बाड़मेर में लगा हुआ है। हाईटेंशन लाइनों के चलते अब पूरे इलाके में ये तार ही तार नजर आते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया था कि इन तारों को जमीन में दबाया जाए ताकि इन दुर्लभ प्रजाति के पक्षियों की जान बचाई जा सके।
पांचों बिजली कंपनियों को इसके लिए पाबंद किया गया, लेकिन बिजली कंपनियों ने इसको लेकर अभी तक गंभीरता नहीं दिखाई है। कंपनियों की ओर से उच्चतम न्यायालय में बिजली लाइनों को भूमिगत करने का खर्चा ज्यादा आने और अन्य तर्क दिए गए। इस पर एक बार फिर उच्चतम न्यायालय ने अप्रेल-2021 के आदेश को याद दिलाते हुए कहा था कि हाईटेंशन लाइनों को जमीन में गाडऩे की कार्यवाही को गंभीरता से लिया जाए।
यह था सुप्रीम कोर्ट का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया था कि इन तारों को जमीन में दबाया जाए ताकि इन दुर्लभ प्रजाति के पक्षियों की जान बचाई जा सके। पांचों बिजली कंपनियों को इसको लेकर पाबंद किया गया, लेकिन बिजली कंपनियों ने इसको लेकर अभी तक गंभीरता नहीं दिखाई है। कंपनियों की ओर से उच्चतम न्यायालय में बिजली लाइनों को भूमिगत करने का खर्चा ज्यादा आने और अन्य तर्क दिए गए। इस पर एक बार फिर उच्चतम न्यायालय ने अप्रेल-2021 के आदेश को याद दिलाते हुए कहा था कि हाईटेंशन लाइनों को जमीन में गाडऩे की कार्यवाही को गंभीरता से लिया जाए।
पर्यावरण सुरक्षा के लिए यह बहुत जरूरी
बिजली के तारों से पक्षियों के टकराने और उनकी मौत की घटनाएं आम हैं। बड़े पक्षी इसकी चपेट में ज्यादा आते हैं। बाड़मेर-जैसलमेर में डेजर्ट नेशनल पार्क भी है। जहां पर दुर्लभ पक्षी हैं। गोडावण इसमें से मुख्य है। इन तारों को जमीन में गाड़ा जाए तो पक्षियों की मौत नहीं होगी। पर्यावरण सुरक्षा के लिए यह बहुत जरूरी है। – भैराराम भाखर, पर्यावरणविद्
Source: Barmer News