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गजेंद्रसिंह दहिया/जोधपुर. धोरों की सर्दी से बचने के लिए टिड्डी दल गुजरात सेराजस्थान बॉर्डर तक पाकिस्तान से लगती अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बनाई गई तारबंदी पर रात गुजार रहे हैं। भारत के टिड्डी नियंत्रक कार्मिक तारबंदी पर भी पेस्टीसाइड का स्प्रे कर रहे हैं। परेशानी यह है कि पाकिस्तान के उस पार टिड्डी नियंत्रण के कोई प्रयास नहीं किए जा रहे। एक दल का खात्मा करने के बाद नया दल आ जाता है। 20 दिसम्बर से अब तक पाकिस्तान से करोड़ों टिड्डी आ चुकी हैं।

सर्दी में धोरों की रेत अधिक ठण्डी हो जाती है। ऐसे में टिड्डी खंबे और पेड़ों की टहनियों पर बैठती है। बॉर्डर के आसपास ऊंचे पेड़ नहीं होने से टिड्डी ने तारबंदी को आश्रय स्थल बना लिया है। बॉर्डर के उस पार पाकिस्तान के किसान भी परेशान हैं। पाकिस्तान के प्लांट प्रोटेक्शन विभाग के अधिकारी पाक-ईरान सीमा पर भीषण टिड्डी प्रकोप से निपटने में लगे हैं, जबकि भारतीय सीमा पर पेस्टीसाइड स्प्रे नहीं हो रहा है। नतीजन पाकिस्तान के किसान खुद ही टिड्डी से जूझ रहे हैं। बीएसएफ के अधिकारियों ने भी इसकी पुष्टि की है।

कच्छ के रण से आई टिड्डी
हाल ही में कच्छ के रण से गुजरात में एक बड़ा टिड्डी दल घुसा जो पालनपुर, जालोर होते हुए बाड़मेर पहुंचा। वर्तमान में बाड़मेर और श्रीगंगानगर में ही टिड्डी दल मौजूद है। मंगलवार शाम तक इस पर स्प्रे किया जा रहा था।

उत्तरी-पूर्वी अफ्रीका में खाद्य संकट की चेतावनी
उत्तरी-पूर्वी अफ्रीका में अरबों की संख्या में टिड्डी में है। संयुक्त राष्ट्र के विश्व एवं खाद्य संगठन ने अलार्मिंग स्थिति घोषित कर दी है। केन्या, सोमालिया और इथोपिया की जनता अब खाद्य संकट से जूझ सकती है। ईरान में भारी बारिश से भी टिड्डी को विंटर ब्रीडिंग में मदद मिली है। वर्तमान में टिड्डी लाल सागर के दोनों ओर बसे देशों में प्रजनन कर रही है जो पूरी दुनिया के लिए चिंताजनक स्थिति है।

Source: Jodhpur

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