बाड़मेर. अन्नपूर्णा दूध के लिए मिलने वाला बजट लेटलतीफी बनता जा रहा है। इसके कारण उधार बढऩे से दूध लाने वाले शिक्षकों के लिए आफत बनती जा रही है। राज्य सरकार की ओर से प्रारम्भिक शिक्षा के स्कूलों में बच्चों के पोषण व विद्यार्थियों के स्कूल में ठहराव आदि गतिविधियों को ध्यान में रखकर अन्नपूर्णा दूध योजना शुरू की गई।
योजना के तहत शिक्षकों ने आसपास के डेयरी, स्वयं सहायता समूह से दूध की व्यवस्था कर तो दी लेकिन सरकार की ओर से समय पर बजट जारी नहीं होता है। बजट नहीं आने के कारण अब दूध विक्रे ता भी उधार दूध देने आनाकानी कर रहे हैं।
जिले में लगभग 5 माह से बजट जमा नहीं हुआ है। इसके कारण 5 हजार के करीब स्कूलों में हजारों बच्चों के उधार पर दूध की व्यवस्था करना अब किसी चुनौती से कम नहीं हैं। दूध की जिम्मेदारी भी अब अलग-अलग शिक्षकों को दिए जाने की बात भी उठ रही है।
8वीं तक के विद्यार्थियों को मिलता है दूध
सरकारी विद्यालयों व मदरसों में कक्षा 1 से 5 तक के विद्यार्थियों को 150 एमएल व कक्षा 6 से 8 तक विद्यार्थियों को 200 एमएल दूध दिया जाता है। दूध की व्यवस्था डेयरी व अन्य विक्रेताओं से शिक्षक अपने स्तर पर ही करते हैं।
इनको भी करना है भुगतान
विद्यालयों में अन्नपूर्णा दूध योजना के साथ कुककम हेल्पर का मानदेय व कुकिंग कन्वर्जन राशि भी जमा नहीं हुई है। ऐसे में अल्प मानदेय में काम करने वाली कुककम हेल्पर के लिए परिवार का गुजारा करना मुश्किल हो गया है। तो दूसरी तरफ पोषाहर बनाने के लिए किराणा, गैस, सब्जी सहित अन्य सामान की उधारी भी अभी बाकी है।
जल्द खातों में जमा होगा बजट
अन्नपूर्णा दूध योजना के बिल कोष कार्यालय में भेजे गए थे। बजट आ गया है जल्द से विद्यालयों के खातों में बिल जमा होंगे।
मूलाराम बैरड़, सीबीइओ बाड़मेर
Source: Barmer News