महेन्द्र त्रिवेदी
बाड़मेर पत्रिका. साल 2001 के आसपास हॉलेस्टियन फ्रिजियन और अन्य विदेशी नस्ल की गायों को लेकर यकायक सोच बनने लगी कि 35 से 40 लीटर प्रतिदिन दूध देने वाली गायें हमारी देसी से बहुत अच्छी है और आमदनी से डेयरी उद्योग खड़ा कर सकती है लेकिन बीस साल बाद फिर हमारी विलायती गायों से थार के वाशिंदों का मोह छूट गया है। बीसवीं पशुगणना के प्रारंभिक आंकड़े बता रहे है कि थार में विदेशी का आंकड़ा 2301 से घटकर 1450 हो गया है और देसी का आंकड़ा 20वीं पशुगणना में 786065 से बढ़कर अब 837232 हो गया है। देसी गायों की प्रदेश की मौजूदा स्थिति पर गौर करें तो बीकानेर में सर्वाधिक 9 लाख 64 हजार है। वहीं दूसरे नम्बर पर जोधपुर 889659 तथा प्रदेश में तीसरा स्थान पर बाड़मेर में 837232 देसी गाय है। वहीं करौली जिला देसी गाय पालन में प्रदेश में आखिरी पायदान पर है।
देसी का पालन आसान
बाड़मेर में देसी नस्ल की गायों की बढ़ोतरी का कारण इनका पालन-पोषण करना आसान है। देखभाल व चारे आदि पर ज्यादा खर्च नहीं होता है। वहीं देसी गाय का दूध और इससे बनने वाले उत्पाद पौष्टिक व सुपाच्य माने जाते हैं। इसलिए किसान देसी गाय को पालने में ज्यादा रूचि दिखाते हैं। देसी गाय की मांग भी ज्यादा है। इसके चलते देसी गायों की संख्या में वृद्धि दर्ज की गई है।
20वीं पशुगणना: प्रदेश में कहां कितनी देसी गाय
अजमेर: 271793
अलवर: 130002
बांसवाड़ा: 309730
बारां: 252803
भरतपुर: 116845
भीलवाड़ा: 484598
बीकानेर: 964229
बूंदी: 156735
चित्तौडग़ढ़: 274126
चूरू: 344336
दौसा: 96848
धौलपुर: 46346
डूंगरपुर: 215704
गंगानगर: 399999
हनुमानगढ़: 336093
जयपुर: 292454
जैसलमेर: 356517
जालौर: 249370
झालावाड़: 210668
झुंझुनूं: 69880
जोधपुर: 889659
करौली: 57644
कोटा: 181561
नागौर: 439221
पाली: 299364
प्रतापगढ़: 211788
राजसमंद: 171101
ेेस. माधोपुर: 65799
सीकर: 126066
सिरोही: 155323
टोंक: 150049
उदयपुर: 438701
Source: Barmer News