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नंदकिशोर सारस्वत/जोधपुर. वर्तमान में पर्यावरण की स्थिति दिन-प्रतिदिन विकट होती जा रही है। बाजार की मांग को पूरा करने के लिए मानव जीवन और पृथ्वी के लिए जरूरी पेड़ों को तेजी के साथ काटा जा रहा है। लेकिन इसके एवज में पेड लगाने की गति बहुत धीमी है। ऐसे में आमजन व व्यवसाय से जुडे उद्यमियों का पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रेरित करने के लिए ‘अर्थवर्म’ पिछले कई सालों से अभियान में जुटा है।

अर्थवर्म के कंट्री हैड नरेश चौधरी ने बताया कि वर्तमान में राजस्थान के जयपुर व जोधपुर का हस्तशिल्प क्षेत्र निर्यात एक साल में 3 हजार करोड़ विदेशी मुद्रा का है। लेकिन किसान एग्रोफ ोरेस्ट्री मॉडल की बजाय मोनोकल्चर फ सलों पर निर्भर हो रहे हैं। ऐसे में आवश्यक है कि व्यवसाय और पर्यावरण स्थिरता को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यकता और आपूर्ति के बीच एक व्यवहार्य संतुलन बनाए रखा जाए। जलवायु परिवर्तन का ध्येय लेकर अर्थवर्म गुणवत्ता वाले पेड़ लगाने व सार्थक वृक्षारोपण को बढ़ावा देने के लिए कार्य कर रहा है।

250 गांवों के किसानों के साथ कार्य करता है अर्थवर्म

अर्थवर्म के प्रोग्राम हैड गौरव कौशिक ने बताया कि संस्थान ‘द क्लाइमेट चेंज’ अभियान के तहत पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के 250 गांवों में 2000 से अधिक किसानों के साथ मिलकर काम कर रही है। इसके तहत अब तक दो लाख से अधिक पौधे लगाकर वन संरक्षण को बढावा दिया है। अभियान में जयपुर के हस्तशिल्प निर्यातकों के सहयोग से डेढ लाख पौधे लगाए गए हैं। उन्होंने बताया कि आगामी मार्च में जोधपुर में भी सघन वृक्षारोपण अभियान चलाया जाएगा। वर्तमान में 16 देशों में कार्य कर रही अर्थवर्म को पूर्व में टीएफ टी (दी फ ोरेस्ट ट्रस्ट) के नाम से जाना जाता था।

Source: Jodhpur

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