ओम माली
बाड़मेर. थार की बेटियां जब मंच पर गार्गी और इंदिरा प्रियदर्शिनी पुरस्कार लेने पहुंच रही थी तो उनके मां-बाप की आंखों में गौरव था। मेहनती बेटियों के प्रतिशतांक की वजह से पारितोषिक में मिल रही स्कूटी और लाख रुपए के पुरस्कार की राशि के बाद जब लाख-लाख बधाइयां मां-बाप समेटने लगे तो उनका एक ही संदेश था कि म्हारी बेटियां बेटों से कम नहीं है।
केस-1
-मजदूर की बेटी ‘मेहनती’
विद्यार्थी- ऊषा
निवासी- जोगियों की दड़ी, बाड़मेर
दसवीं में प्राप्तांक -94.17 प्रतिशत
पिता-कमठा मजदूर
मेहनत से नहीं घबराएं-
कमठा मजदूर होते हुए भी सभी बच्चों को पढ़ा रहा हूं लेकिन ऊषा ने डॉक्टर बनने का सपना देखा है वह पूरा होगा या नहीं। यह समय पर छोड रखा है। मैं भी मेहनत करता हूं वह भी मेहनत से नहीं घबराती।- गोपाल चोटिया,पिता
केस-2
– दोनों बहिनों में पढऩे की ‘प्रतिस्पर्धा’
विद्यार्थी- मीनाक्षी एवं पूजा
निवासी- बीदासर
प्रतिशत-86 दसवीं, 89 आठवीं
पिता- दुकानदार
गर्व है बेटियों पर
दोनों बेटियां पढ़ती हैं। अधिकारी बनने की तमन्ना है। बेटियों पर गर्व है और उनको कहा है कि पढ़ाई करें, उनका सपना साकार होगा।- जगदीश राइका, पिता
विशाखा पढ़़ती है ‘नियमित’
विद्यार्थी- विशाखा
निवासी- सरदारपुरा, बाड़मेर
दसवीं में प्राप्तांक -97 प्रतिशत
पिता-व्यापारी
विशाखा का सपना इंजीनियरिंग कर आईएएस बनने का है। अभी से वह नियमित 7 घंटे स्कूल के अलावा पढ़ती है। नियमित पढ़ाई ही उसके सपने को साकार करेगी।- गौतमचंद बोथरा, पिता
मां का सपना साकार करूंगी
नाम-किरण
पिता- प्रेमप्रकाश
निवासी- जटियों का नया वास
प्रतिशत-67 बारहवीं
मां..की मजदूरी
किरण के पिता नहीं है। मां मजदूरी करके बेटियों का लालन-पालन कर रही है। आर्थिक विपन्नता के बावजूद लगातार पढ़ाई कर रही किरण कहती है कि वो मां के सपनों को साकार करेगी।
Source: Barmer News