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बाड़मेर. जलवायु परिवर्तन सम्पूर्ण विश्व की एक गंभीर समस्या है। बाड़मेर जिला सम्पूर्ण भारत में मौसम जोखिम सूचकांक में प्रथम स्थान पर आता है। यहां जलवायु परिवर्तन का सर्वाधिक प्रभाव देखने को मिलता है।

जिला कलक्टर अंशदीप ने शुक्रवार को कृषि विज्ञान केन्द्र दांता में बागवानी सहायक एवं लघु मुर्गी पालक प्रशिक्षणार्थियों को संबोधित करते हुए यह बात कही।

उन्होंने कहा कि बाड़मेर जिले में मुख्य जीविकोपार्जन का साधन पशु पालन है। लेकिन जलवायु परिवर्तन से पशुपालन व्यवसाय पर विपरित प्रभाव पड़ रहा है। इसकी मुख्य वजह पौष्ठिक चारे की वर्ष पर्यंत अनुपलब्धता है।

श्योर की संयुक्त सचिव लता कच्छवाह ने कहा कि सेवण तथा धामण घास जो कि पौष्टिकता से भरपूर होती है यहां पर बहुतायत में पाई जाती थी।

जिला कलक्टर ने केवीके फार्म पर संचालित विभिन्न इकाइयों वर्मीकम्पोस्ट, अनार, बेर, अमरूद, बकरी, थारपारकर इकाई, सेवण एवं धामण घास चारा इकाई एवं फसल प्रदर्शन इकाइयों का भ्रमण किया।

Source: Barmer News

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