भीख भारती गोस्वामी
गडरारोड़. 18 वीं सदी में बसा बॉर्डर के गांव सुन्दरा के द्वार पर 21वीं सदी की सुविधाओं ने जैसे ही कदम रखा यहां डीएनपी क्षेत्र का प्रतिबंध आ गया। ताज्जुब होगा कि इंटरनेट क्रांति के इस युग में इस गांव में किसी भी मोबाइल कंपनी का नेटवर्क नहीं होने से 5000 आबादी के यहां के लोगों के पास अगर मोबाइल है भी तो इसका उपयोग गांव से बाहर जाने पर होता है। गांव में कोई काम का नहीं।
पानी,बिजली, सड़क की सुविधाओं से आधा-अधूरा जुड़ाव है। भारत की आजादी से पहले इस गांव के लोगों ने लुटेरों से व्यापारियो की रक्षा की। 1947 के बंटवारे में बॉर्डर पर आए शरणार्थियों को सुरक्षा दी और 1965 एवं 1971 में देश की सेना के साथ कंधे से कंधा लगाकर लड़े ये लोग कहते है कि ‘हर बार हम ही लड़ंेगे या हमारे लिए भी कोई लड़ेगा’।
क्या है डीएनपी क्षेत्र
राष्ट्रीय मरूउद्यान के तहत बाड़मेर-जैसलमेर की 73 ग्राम पंचायतों के गंाव है। राष्ट्रीय मरूउद्यान क्षेत्र होने के कारण इन गांवों में मोबाइल टॉवर, बिजली के खंभे, पानी की पाइप लाइन सहित कई कार्य नहीं हो पा रहे हैं। एेसे में ग्रामीणों को मूलभूत सुविधाओं से वंचित होना पड़ रहा है।
बीएसएफ का दोस्त सुन्दरा
18 वीं सदी में कराची (पाकिस्तान ) तक व्यापार होता था, बीच रास्ते में व्यापारियों के साथ लूट की घटनाएं होने पर पिचानसिंह सोढ़ा अपने परिवार सहित यहां आकर बसे और व्यापारियों को सुरक्षा देने लगे। साथ ही उनके लिए यहां भोजन-विश्राम का प्रबंध था।
1947 में देश आजाद हुआ तो सुन्दरा भारत में रहा और यहां आस-पास आए शरणार्थियों की मदद की। 1965 के युद्ध में सुन्दरा बीएसएफ चौकी पर पाकिस्तान ने कब्जा कर लिया लेकिन जैसे ही भारतीय सेना पहुंची भीमसिंह सोढ़ा के नेतृत्व में ग्रामीणों ने पाक सेना को खदेड़ दिया।
1971 में भी इसी वीरता के साथ ग्रामीणों ने साथ दिया। भीमसिंह को भारत सरकार ने विशेष पुलिस अधिकारी की उपाधि, एक बंदूर और प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया।
इसके बाद बीएसएफ का सुन्दरा गांव हमेशा दोस्त बना हुआ है। बीएसएफ भी बिजली, पानी, सड़क, रोजगार सहित हर कार्य में गांव की मदद को आगे रहती है।
अब हमें सुविधाएं दें
मोबाइल नेटवर्क अभी तक नहीं है। अन्य सुविधाओं के लिए भी मरूउद्यान क्षेत्र के कारण लोग परेशान हैं। अब हमारी लड़ाई सरकार को लडऩी चाहिए, हम तो देश के लिए हमेशा तैयार है।
– चतरसिंह सोढ़ा, ग्रामीण
जिन पर गौरव, उन पर ध्यान दें
देश ने जब भी सीमांत क्षेत्र के लोगों से राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए याद किया है वे सैनिक बनकर आगे आए हैं। सुन्दरा के भीमसिंह का योगदान अविस्मरणीय है। एेसे गांवों को सरकार राष्ट्र गौरव मानते हुए सुविधाएं प्रदान करें।
– तनसिंह सोढ़ा, जिला संपर्क प्रमुख सीमा जनकल्याण समिति, बाड़मेर
Source: Barmer News