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रामलाल चौधरी.
समदड़ी. क्षेत्र के किसान अब खेती के पारम्परिक तरीके छोड़ आधुनिक तकनीक अपनाने लगे हैं। बंजर भूमि पर भी फसल होने पर किसानों को दोहरा लाभ मिल रहा है।

करमावास निवासी नेमाराम चौधरी ने बामसीन मार्ग पर जमीन खरीद ऐसे ही औषधीय पौधों को तैयार किया। सात माह की मेहनत के बाद अब ये पौधे लहलहाने लगे हैं। कुछ पौधे फल देने लगे हैं।

लाल चंदन व जामफल की खेती

नेमाराम चौधरी वर्तमान में कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में व्यवसायरत है। लेकिन अब वह बागवानी खेती में रुचि ले रहे हंै। एक वर्ष पूर्व कुछ नया करने की सोचते हुए करमावास सरहद में बामसीन मार्ग पर 20 बीघा भूमि खरीदी।

यहां बरसाती पानी एकत्रित करने के लिए बड़ा भूमिगत जलकुण्ड तैयार किया। बून्द-बून्द सिंचाई के लिए सौरऊर्जा का प्लांट लगवाकर 20 बीघा भूमि में औषधीय पौधे लगाए।

2200 पौधे लहलहा रहे

इस भूमि पर सात माह पूर्व करीब 22 सौ पौधे लगवाए। जामफल व लाल चंदन के 500-500 पौधे, चीकू के 350, एक सौ इजरायली खजूर के, 150 नींबू, 50 पौधे थाईएपल बोर सहित आम, अंजीर, नारियल, जामुन, लाल मेहंदी आदि के भी पांच सौ पौधे लगवाकर तैयार किए।

मेहनत पर ये सभी पौधे तैयार हो गए हैं। जामफल के साथ अंजीर व बेर आने शुरू हो गए हैं। इसके बाद अब उसका लक्ष्य डेयरी लगाने का है। इसके लिए इसी भूमि के पास ही कुछ और भूमि खरीदकर उसे तैयार कर रहा है। निसं

दो साल पूर्व कृषि क्षेत्र में कुछ नई तकनीक अपनाने को लेकर 20 बीघा भूमि में करीब 22 सौ औषधीय पौधे लगाए। जामफल, अंजीर, बेर आदि लगने शुरू हो गए। मेहनत से सब कुछ सम्भव है। डेयरी फार्म लगवाकर लोगों को शुद्ध दूध उपलब्ध करवाना लक्ष्य है।

– नेमाराम चौधरी, करमावास

Source: Barmer News

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