बाड़मेर. आदर्श स्टेडियम का पार्क करोड़ों रुपए के खर्च से बना, लेकिन इसकी देखरेख नहीं होने से पानी फिर रहा है। पार्क में शानदार झूले लगाए गए थे, लेकिन टूटे तो किसी ने फिर कभी इनकी तरफ देखा तक नहीं।
यहां लगी दूब कभी भ्रमण पर आने वाले लोगों को सुकून देती थी। अब यहां देखभाल नहीं होने से यह दूब सूखने के बाद कांटों की तरह लगती है।
पार्क का म्यूजिकल फव्वारा यहां पर आने वालों के लिए खास आकर्षण था। जिम्मेदारों की अनदेखी के सितम से आज बुरे हालात में पहुंच गया है। अब तो इसके पुर्जे तक चोरी हो चुके हैं।
साउंड सिस्टम सहित कई अलग-अलग पाट्र्स समाजकंट ले गए। फाउंटेन में गली रंग-बिरंगी रोशनी की लाइटें गायब है। अब फाउंटेन का कंकाल ही यहां बचा है।
वॉकिंग ट्रैक टूटा, गिरने का खतरा
पार्क का वॉकिंग ट्रैक जगह-जगह से टूट चुका है। शाम-सुबह वॉकिंग के लिए आने वाले लोग यहां कई बार चोटिल हो चुके हैं। लोग जिम्मेदारों से शिकायत भी कर चुके हैं। फिर भी यहां कोई आकर देखता तक नहीं हैं।
टूटे झूले बन गए खतरा
पार्क में टूटे हुए झूलों को हटाया भी नहीं जा रहा है। क्षतिग्रस्त झूलों के खतरों से अनजान बच्चे यहां झूलों पर चढ़ जाते हैं। इससे हमेशा हादसे होने की स्थिति बनी रहती है। पार्क में करीब-करीब सभी झूले क्षतिग्रस्त अवस्था में हैं।
जगह-जगह फैली अव्यवस्थाएं
मौसम में बदलाव के साथ ही गर्मी में सुबह-शाम पार्क में भ्रमण पर आने वालों की संख्या भी बढ़ रही है। इसके कारण पार्क की अव्यवस्थाओं के कारण लोगों के चोटिल होने का खतरा बढ़ गया है।
-बलदेव बेनीवाल
नियमित हो देखरेख
पार्क बनाने के बाद इसकी नियमित देखरेख होनी चाहिए। तभी ये आमजन के लिए उपयोगी हो सकता है। लेकिन हकीकत में इसकी उपेक्षा हो रही है।
-केसाराम
टूट चुके हैं झूले
बच्चों के लिए लगाए झूले टूट चुके हैं। इनकी देखरेख कभी नहीं की गई। मरम्मत नहीं करवा सकते तो यहां से हटाना चाहिए। जिससे किसी को चोट नहीं लगे।
-भरत सऊ
हमने फाउंटेन को चलते देखा है। अब इसकी यह स्थिति देखकर निराशा होती है। जिम्मेदार इन पर ध्यान क्यों नहीं देते हैं।
-प्रताप सुथार
शहर में एक-दो पार्क ही है, यहां पर भी सुविधाएं नहीं मिलेगी तो लोग भ्रमण को कहां जाएंगे। नगर परिषद को यहां पर व्यवस्थाओं को देखना चाहिए।
-प्रकाश गर्ग
Source: Barmer News