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दलपत धतरवाल/राजेन्द्रसिंह विक्टर

बालोतरा. वर्तमान में प्रदूषण पूरे देश के लिए एक बड़ी चुनौती बना हुआ है। देश की राजधानी दिल्ली में वाहनों के प्रदूषण को कम करने के लिए ऑड-इवन सिस्टम लागू किया गया। प्रदूषण की सबसे बड़ी जड़ है वाहनों से निकलने वाला धुआं। इसके लिए मोटर व्हीकल एक्ट में हर वाहन चाहे वह सरकारी हो या फिर गैर सरकारी, इनकी प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र (पीयूसी) अनिवार्य की गई है, लेकिन बालोतरा उपखंड के पुलिस व परिवहन विभाग अधिकारियों के वाहनों को लेकर इसकी पालना नहीं की जा रही है। मजे की बात तो यह है कि बालोतरा पुलिस थाने में काम ली जाने वाली पुलिस कंट्रोल रुम की बोलेरो कैंपर की फिटनेस भी नहीं है।
पुलिस, आबकारी और यहां तक कि खुद परिवहन विभाग के अधिकारियों के वाहनों की पीयूसी नहीं है। इधर, जब कभी परिवहन विभाग की ओर से अभियान चलाया जाता है तो आम वाहन चालकों पर ही कार्रवाई की जाती है, जबकि सरकारी वाहनों की जांच तक नहीं की जाती।

आश्चर्य करने वाली बात तो यह है कि अधिकारी जिन वाहनों में रोजाना ऑफिस आते और जाते हैं, यह वाहन 7 से 8 साल पुराने हैं। फिर भी न तो ड्राइवरों ने कभी इन वाहनों की पीयूसी करवाई और न ही अधिकारियों ने कभी यह जानने की कोशिश की कि जिन वाहनों में घूम रहे हैं, उनका प्रदूषण सर्टिफिकेट है भी या नहीं।
परिवहन विभाग उडऩदस्ते का वाहन भी बिना पीयूसी

– वाहनों से फैल रहे प्रदूषण को कम करने के लिए परिवहन विभाग मुख्यालय ने बिना पीयूसी के चलने वाले वाहनों पर सख्ती दिखाई। प्रदेश के सभी डीटीओ को भी बिना पीयूसी चलने वाले वाहनों के चालान करने के आदेश दिए थे, लेकिन परिवहन अधिकारी मुख्यालय के इन आदेशों को ताक पर रखकर कागजों में ही सख्ती दिखा रहे हैं। बालोतरा परिवहन कार्यालय के उडऩदस्ते की बोलेरो गाड़ी 7 वर्ष पुरानी है, लेकिन इसकी पीयूसी नहीं करवाई गई है।

Source: Barmer News

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