बाड़मेर. शहर के आंगनबाड़ी केंद्र कार्यकर्ता व सहायिकाओं की मेहरबानी से संचालित हो रहे हैं। पिछले छह महीनों से केंद्रों को एक पैसे का बजट नहीं मिला है। खर्चों के लिए बजट नहीं मिलने से आंगनबाड़ी कार्मिकों को खुद की जेब से भुगतान करना पड़ रहा है। वहीं अगस्त से मानदेय भी बकाया चल रहा है। यह स्थिति केवल बाड़मेर शहर की नहीं, पूरे जिले में ऐसे ही हालात है।
अल्प मानदेय में काम करने वाले केंद्र के कार्मिकों पर दोहरी मार पड़ रही है। पहले से कम मानदेय और वह भी छह महीनों से नहीं मिलने के कारण परिवार चलाना मुश्किल हो रहा है। वहीं आंगनबाड़ी संचालन के खर्चें भी कार्यकर्ताओं के जिम्मे आ गए हैं।
6 माह से नहीं मिला मानदेय
शहरी क्षेत्र में 68 आंगनबाडी केन्द्रों का संचालन हो रहा है। जिसमें आंगनबाडी कार्यकर्ता, सहायिका, आशा सहयोगिनी बच्चों को शिक्षा देने के साथ पोषणयुक्त भोजन देती है। सरकार की ओर से आंगनबाडी कार्यकर्ता को 7500, सहायिका को 4250 व आशा को 2700 रुपए का मानदेय दिया जाता है। ऐसे में 6 माह से मानदेय नहीं मिलने अब तो आंगनबाड़ी केंद्रों के संचालन में भी मुश्किल आने लगी है।
भवनों का किराया बाकी
शहरी क्षेत्र में अधिकांश आंगनबाडी केन्द्र किराए के मकानों में संचालित हो रही है। विभाग की ओर से अक्टूबर माह के बाद इनका किराया भी नहीं दिया गया। अब भवन मालिक के साथ कार्यकर्ताओं को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
पोषाहार का नहीं हुआ भुगतान
आंगनबाडी केन्द्रों पर गर्भवती महिलाओं व बच्चों को दिए जाने वाले पोषाहार के पैकेट का भुगतान भी अगस्त माह के बाद नहीं हुआ। ऐसे में कार्मिकों को उधारी या खुद की जेब से पैसे देकर पैकेट लाने पड़ते हैं। कई केंद्रों पर 6 माह से उधारी पर चल रहे हैं। अब उधार देने वाले भी परेशान हो चुके हैं।
एक साल के एरियर का इंतजार
कार्मिकों को विभाग की ओर से दिया जाने वाली एरियर राशि का भुगतान अक्टूबर 2018 से नहीं हुआ है। मानदेय के साथ एरियर व अन्य खर्चों की राशि नहीं मिलना संचालन में सबसे बड़ी बाधा बन चुका है।
फिर विभाग की कैसी जिम्मेदारी
विभाग की ओर से समय पर बजट जारी नहीं करने से कार्मिकों के जिम्मे संचालन के साथ पोषाहार व अन्य खर्चें आ गए है। विभागीय उदासीनता कार्मिकों के साथ बच्चों पर भी भारी पड़ रही है।
गुहार भी नहीं आई काम
आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने मानदेय व अन्य मदों के लिए बजट को लेकर राजस्व मंत्री से गुहार लगाई थी। एक महीने बाद भी कार्मिकों की समस्या का समाधान मंत्री से गुहार लगाने के बाद भी नहीं हुआ है।
बजट की मांग की गई है
कार्मिकों के मानदेय सहित अन्य योजनाओं का बजट नहीं होने के कारण समस्या आ रही है। बजट की मांग की गई है। बजट आने पर भुगतान किया जाएगा।
– सती चौधरी, उपनिदेशक महिला एवं बाल विकास विभाग बाड़मेर
Source: Barmer News