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अविनाश केवलिया/जोधपुर. निकाय चुनावों की तैयारी कर रहे प्रत्याशी इस बार अपनी रणनीति बदल कर काम करने लग गए हैं। वार्ड छोटे हो गए हैं और महज 200-300 वोट प्रभावित करने वाले भी पार्षद बन सकते हैं। 160 पार्षद चुनने के लिए जोधपुर शहर में 7 लाख 27 हजार मतदाता वोट डालेंगे। खास बात यह है कि पिछले दो चुनावों के आंकड़ों पर बात करें तो मतदान प्रतिशत लगातार सुधरा है। यदि 70 प्रतिशत मत भी पड़ते हैं तो जीत का अंतर काफी नजदीकी रहेगा।

200 वोट के अंतर में बदल जाएगा गणित
इस बार प्रति वार्ड औसतन 45 सौ वोटर होंगे। मतदान करने यदि 3 हजार से अधिक लोग भी मतदान करते हैं तो जीत प्रतिशत 10 प्रतिशत से कम रहता है। ऐसे में महज 300 वोट जो अपनी ओर ज्यादा खींच लेता है वह जीत की दहलीज पर होगा। पिछली बार औसतन भाजपा को कांग्रेस से 8 प्रतिशत अधिक वोट मिले थे।

वोटिंग प्रतिशत बढऩे की संभावना
जोधपुर शहर में पिछले डेढ़ साल में विधानसभा चुनाव व लोकसभा चुनावों में मतदान प्रतिशत 70 के आंकड़े के आस-पास पहुंचा। जबकि पिछले चुनावों के आंकड़े बताते हैं कि जितने छोटे चुनाव होते हैं उतना ही वोटिंग प्रतिशत अधिक होता रहा है। 2014 में जोधपुर नगर निगम चुनावों में 63 प्रतिशत वोट पड़े। इस बार वार्ड छोटे होने से प्रत्याशी अधिक से अधिक मतदान करवाने का प्रयास करेंगे, ऐसे में यह प्रतिशत 75 से 80 के बीच भी रह सकता है।

यह है 2014 के चुनावों का गणित
– 65 कुल वार्ड थे
– 662300 कुल मतदाता थे
– एक वार्ड में औसतन 10 हजार वोटर
– 63 प्रतिशत मतदान प्रतिशत
– 6 हजार औसतन एक वार्ड में वोट पड़े
– 25 सौ से ज्यादा वोट जिसने लिए वह पार्षद बन गया
– 8 प्रतिशत ज्यादा वोट मिले भाजपा को कांग्रेस से

इस बार यह रह सकता है गणित
– 160 कुल वार्ड (80-80 दोनों निगम में)
– 7.27 लाख मतदाता
– एक वार्ड में औसतन 4500 मतदाता
– 70 प्रतिशत के आस-पास मतदान विधानसभा-लोकसभा में रहा है
– 3000 हजार वोट एक वार्ड में डाले जाते हैं
– 10 प्रतिशत औसत जीत का अंतर रहता है तो 300 मतों का ही खेल रहेगा

Source: Jodhpur

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