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जोधपुर. कोरोना वायरस का खौफ शहर ही नहीं गांवों में भी होने लगा है। देश के अलग-अलग प्रदेशों में रहने वाले लोग अपने परिवार की चिंता व लॉक डाउन के कारण घरों की ओर लौट रहे हैं। लेकिन इनकी पुख्ता जांच के लिए अब प्रशासन को कमर कसनी होगी। दावे तो किए जा रहे हैं कि इन सभी की लिस्टिंग हो रही है, लेकिन इनके लिए स्थानीय ब्लॉक स्तर पर किसी प्रकार की आइसोलेशन व उत्तम चिकित्सा सुविधा नहीं है।

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स्क्रीनिंग सेल के प्रभारी व जेडीए सचिव हरभान मीणा के अनुसार 14 मार्च के बाद से 7 दिन में जोधपुर शहर में देश के अन्य प्रदेशों से ट्रेन के जरिये 5282 लोग आए हैं। जबकि निजी बसों से जोधपुर पहुंचने वालों की संख्या 378 है। इन सभी को मैसेज भेज कर अपनी स्क्रीनिंग व जांच करवाने के लिए कहा गया है। लेकिन चिकित्सा विभाग के पास फिलहाल इतने मानवीय संसाधन नहीं है कि सभी की जांच हो सके।

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घर लौटने की मजबूरी
पाली जिले में सोजत सिटी के पास भरियाला गांव का एक व्यक्ति रेलगाड़ी कैंसल होने की वजह से अपने भांजे के साथ रविवार को विमान से जोधपुर लौटा। भरियाला गांव निवासी ओमप्रकाश ने राजस्थान पत्रिका को बताया कि बेंगलुरु में वह गुटखा, बीड़ी व सिगरेट का व्यापारी है। कोरोना वायरस से गांव में घरवाले बहुत चिंतित है। वायरस से बेंगलुरु में फिलहाल कोई खतरा नहीं है। वह वहां सुरक्षित है, लेकिन घरवालों की बढ़ती चिंता की वजह से वह विमान से जोधपुर हवाई अड्डे पहुंचा। बेंगलुरु से तीन ट्रेन निरस्त हो गईं थी।

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विमान में भी कोई सीट खाली नहीं थी। कोरोना वायरस के बारे में ओमप्रकाश ने कहा कि जोधपुर हवाई अड्डे पर स्वास्थ्य अधिकारियों ने उसकी व भांजे की जांच की। फिर उसे बाहर निकाला। ओमप्रकाश व उसका भांजा हवाई अड्डे से ऑटो रिक्शा में राइकाबाग स्थित रोडवेज बस स्टैंड आए, लेकिन उन्हें पाली या सोजत के लिए बस नहीं मिली। दोनों काफी देर तक परिवहन साधन के लिए घूमते रहे।

Source: Jodhpur

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