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जोधपुर. आमतौर पर व्हाट्सअप व अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रतिदिन हैलो, हाय, गुड मॉर्निंग के मैसेज आते थे, लेकिन इन दिनों माहौल पूरी तरह से बदला नजर आ रहा है। कोरोना की दशहत के बीच हर कोई सोशल मीडिया के माध्यम से एक दूसरे को कोरोना वायरस के प्रति जागरुक करने के संदेश भेज रहा है। खास बात यह है कि इन दिनों भारतीय संस्कृति से जुड़े संदेश सोशल मीडिया पर खासे शेयर किए जा रहे हैं। लोग हैलो के बजाय भारतीय परम्परा के अनुसार नमस्ते, अवॉइड हैंडशेक, बी अवेयर बी सेफ, कोरोना सिम्टम्स, वॉश योर हैंड्स, अवॉइड मार्केट, अवॉइड क्राउड पैलेस, वियरिंग मास्क जैसे मैसेज भेज रहे हैं।

बढ़ता है रक्त संचार, आती है विनम्रता
आध्यात्म से जुड़े विशेषज्ञों के अनुसार हाथ जोडऩे से शरीर का रक्त संचार बढऩे लगता है। मनुष्य के शरीर में सकारात्मक व नकारात्मक दोनों तरह के भाव होते हैं, लेकिन नमस्कार करने से दोनों हाथों के मिलने से एनर्जी का प्रवाह होता है। जिससे शरीर में सकारात्मकता का समावेश अधिक होता है। मनोचिकित्सकों के अनुसार हाथ जोड़कर आप जोर से बोल नहीं सकते, अधिक क्रोध नहीं कर सकते और भाग नहीं सकते। यह एक ऐसी पद्धति है जिसका व्यक्ति पर मनोवैज्ञानिक दबाव रहता है। इस प्रकार नमस्‍कार करने से व्यक्ति अपने आप ही विनम्र हो जाता है।

प्‍यार व स्‍नेह को करता उजागर
मनोचिकित्सकों के अनुसार नमस्‍ते करते समय आप दोनों हाथों को अपने सीने के सामने जोड़ते हैं, जहां पर अनाहत चक्र स्‍थापित होता है। यह चक्र प्‍यार और स्‍नेह को उजागर करता है। इससे आपके अंदर दूसरे के प्रति स्‍नेह का भाव आता है। भारतीय संस्कृति में मंदिर में दर्शन करते समय या किसी सम्माननीय व्यक्ति से मिलने पर हमारे हाथ स्वयं ही नमस्कार मुद्रा में जुड़ जाते हैं। नमस्‍कार हमारी संस्‍कृति का ऐसा हिस्‍सा है, जो सदियों से हमारी जीवनशैली से जुड़ा हुआ है।

इनका कहना है
नमस्कार करते समय हम अपने सिर और कंधों को झुकाते हैं। यह एक प्रकार से दूसरे के भीतर विराजित सर्वशक्तिमान के प्रति आदर प्रदर्शन है। जब हम शीश झुकाते हैं तो दूसरे कि महत्ता को स्वीकार करते हैं। साष्टांग आठ अंगों से झुक कर किया गया अभिवादन ही आदर्श माना जाता हैं।
-ओमसिंह राजपुरोहित, एडीइओ, प्रारंभिक शिक्षा

नमस्कार हमारी भारतीय संस्कृति का परिचायक है। नमस्ते करने से सकारात्मक ऊर्जा आती है। यह एक तरह की योग मुद्रा है। जो मन को निर्मल करने का कार्य भी करती है। इससे व्यक्ति विनम्र बनता है। हम सबको अपनी संस्कृति का पालन अवश्य करना चाहिए।
-महंत सोमेश्वर गिरी, बिजोलाई बालाजी मंदिर

दोनों हाथों को जोड़कर नमस्कार करने से एक संकुल बनता है। इस प्रकार का प्रणाम विशेष लाभकारी है। जबकि एक दूसरे से हाथ मिलाने में जीवन शक्ति का भी हस होता है। इसके अलावा संक्रमित रोगी होने की दशा में दूसरे पर भी संक्रमण का प्रभाव पडऩे की आशंका रहती है।
-शरद धाणदिया, युवा

हमारे हाथ के तंतु मस्तिष्क के तंतुओं से जुड़े होते हैं। नमस्कार करते समय हथेलियों को दबाने या जोड़कर रखने से ह्रदयचक्रव आज्ञाचक्रम में सक्रियता आती है। जिससे जागृति बढ़ती है। इससे मन शांत भी होता है। साथ ही दिल मजबूत होता है तथा निर्भिकता बढ़ती है।
-गोपाल शर्मा, जेएनवीयू

आध्यात्मिक तौर पर यदि हम सामने वाले व्यक्ति की आत्मा को नमस्कार करते हैं तो यह हमे कृतज्ञता और समर्पण की भावना जागृत करता है। यह आध्यात्मिक विकास में सहायता करता है। सामने वाले व्यक्ति पर इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
-मंजूला देवी, गृहिणी

Source: Jodhpur

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