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जोधपुर. चिकित्सा विभाग ने कांगो फीवर पीडि़त मरीजों, उनके परिजनों व संदिग्धों का इलाज करने वाले चिकित्साकर्मियों के तो सैंपल ले लिए, लेकिन पशुओं के बीच कांगो फीवर वाहक चिचड़ों का उपचार करने वाले पशु चिकित्सा स्टाफ का सैंपल लेना ही भूल गया। इस कारण कई पशु चिकित्सकों व पैरा मेडिकल स्टाफ में कांगो फीवर फैलने का खतरा बना हुआ है।

जोधपुर में कांगो फीवर के चार मरीज सामने आ चुके हैं और दो पॉजिटिव की मौत हो चुकी है। ये सभी पशुपालन कार्य से जुड़े हुए हैं। वहीं जोधपुर में पशु चिकित्सालय का स्टाफ भी इन्हीं पॉजिटिव मरीजों के बाड़ों में जाकर सैंपल ले रहा है। ऐसे में सीधे तौर पर चिकित्सा विभाग की लापरवाही पशु चिकित्सालय के मेडिकल स्टाफ पर भारी पड़ सकती है।

अतिरिक्त निदेशक ने लिखा पत्र
पशुपालन विभाग के अतिरिक्त निदेशक (क्षेत्र) डॉ. चक्रधारी गौतम ने चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाओं के संयुक्त निदेशक डॉ. युद्धवीरसिंह राठौड़ को पत्र लिख वैटेनरी मेडिकल स्टाफ के सैंपल लेने के लिए कहा है। उन्होंने कहा कि चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा रोगी के परिजनों व दाह संस्कार में शामिल लोगों तक के सैंपल लिए जा रहे हैं।

साथ ही रोगियों का उपचार करने वाले चिकित्सकों व स्टाफ के सैंपल लिए गए, लेकिन वैटेनरी मेडिकल स्टाफ के सैंपल नहीं लिए गए। जबकि उन सभी में भी रोग फैलने की आशंका रहती है। उन्होंने अपने स्टाफ में कार्यरत कर्मचारियों को संदिग्ध मानते हुए उनके ब्लड सैंपल भी एनआइवी पुणे भेजने के लिए कहा है।

इनका कहना है

नगर निगम के 17 कर्मी व इतने ही पशुपालन विभाग के चिकित्सकों व कम्पाउंडर आदि ने कांगो फीवर पीडि़त मरीजों के बाड़े में जाकर सेवाएं दी हैं। हालांकि उनकी टीम ने गलव्ज व मास्क पहनकर कार्य किया है।
– जेपी नंदवानी, संयुक्त निदेशक, पशुपालन विभाग

पत्र कल प्राप्त हुआ था। कोई संभावित या संदिग्ध है तो उसका जरूर सैंपल लिया जाएगा। इन लोगों ने फील्ड में सेवाएं दी थी।
– डॉ. युद्धवीरसिंह राठौड़, संयुक्त निदेशक, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं

Source: Jodhpur

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