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दिलीप दवे/ ओम माली
बल्र्क- दुख की सबसे बड़ी वह होती है जो कोई अपना साथ छोड़ चला जाता है। रोते-बिलखते परिजन को आस-पड़ोस और रिश्तेदारों की सहानुभूति की जरूरत रहती है, लेकिन कोरोना कहर उनके अकेले ही दुख सहने को मजबूर कर रहा है। शहर में लॉक आउन के साथ कोरोना का भय इस कदर है कि अव्वल तो लोग किसी की मौत पर बैठने भी नहीं आ रहे हैं। वहीं, जिनके घर में मौत हुई है वे भी उस गम को सहते हुए सामने से ही मना कर रहे हैं कि जब सरकार लोगों को मना कर रही है तो फिर आप नहीं आएं।

हम आपकी सहानुभूति को मोबाइल या मन से मान लेंगे। यह स्थिति शहर में पिछले कुछ दिनों में हुई मौतों को लेकर देखने को मिल रही है।
केस संया- शहर के रेलवे कुआं नबर तीन क्षेत्र में एक युवक की असामयिक मौत हुई। अभी पांच-सात दिन ही बीते थे कि कोरोना के चलते लॉक डाउन को गया। दूर दराज से रिश्तेदार आ नहीं पाए और शहर वाले भी नजदीक होते हुए भी दूर हो गए, क्योंकि लॉक डाउन जो है। ऐसे में घर के चंद लोग एक-दूसरे का सांत्वना देकर दुखी की घड़ी में गम को बांट रहे हैं। वहीं, घरवालों को भी कोरोना की भयावकता का अंदाजा है, इसलिए वे भी लोगों को कह रहे हैं कि आप नहीं आए, क्योंकि आप इसकी चपेट में आ गए तो फिर मामला बिगड़ जाएगाा। शोक संतप्त परिवार के सदस्य भी एक-दूसरे दूरी रखते हुए मुंह को ढक कर बैठे हैं।
केस संया दो- शहर के रॉय कॉलोनी क्षेत्र में एक महिला की मौत हो गई। मौत के दूसरे दिन ही पहले जनता कर्यू और बाद में लॉक डाउन हो गया। ज्यादा लोगों के आने-जाने पर रोक के चलते शहर के अलावा अन्य जगहों से परिजन पहुंचे नहीं। उन्होंने मोबाइल से दुख जताया तो शहर वाले भी कम ही आए। इसी बीच प्रधानमंत्री ने देश में लॉक डाउन की घोषणा की तो परिजन भी तीन दिन में ही बारहवें की रस्म अदा करने को मजबूर हो गए। एक दिन बाद इसी घर में सन्नाटा पसरा हुआ था।

आस-पड़ोस के लोगों से पता चला कि यहां तीन दिन पहले मौत हुई थी, लेकिन मजबूरी के चलते घर वाले दरवाजा बंद कर अपने को खोने का गम सह रहे हैं।
केस संया तीन- शहर के एक अल्पसंयक मोहल्ले एक जने की मौत हो गई। बुधवार को अचानक हुई मौत के बाद जनाजा निकलना था, लेकिन लॉक डाउन के चलते ज्यादा लोग साथ एकत्रित नहीं हो सकते। ऐसे में शव को एक वाहन में डाल कुछ परिजन साथ में रवाना हुए तो शव को दफनाने वक्त काम में आने वाली चारपाई एक तिपहिया पर डाली और सीधे कब्रिस्तान ले गए। वहीं चारपाई पर शव डाल औपचारिकता कर दफनाया। अपने को खोने का गम उनके चेहरे पर था, लेकिन कोरोना कहीं उनके परिवार व परिजन पर कहर न बरपा दे, इसलिए वे चाहकर पर जनाना निकाले बिना ही अपने किसी को दफाना कर रवाना हुए।

बाड़मेर. कोरोना का डर अब जिंदगी ही नहीं मौत पर भी भारी पड़ रहा है। अपने किसी के खोने की पीड़ा भी अब लोग बयां नहीं कर पा रहे। जिस घर से जिंदगी चली गई, उन्हें नजदीकी रिश्तेदार कोरोना की भयावता बताते हुए बारहवां या अन्य आयोजन करने से मना कर रहे हैं। स्थिति यह है कि जिस घर में मौत हुई है, वहां घरवालों का रो-रोकर बुरा हाल है तो सांत्वना देने वाले नजर नहीं आते। बहुत ही नजदीक के रिश्तेदार और घरवाले ही एक-दूसरे का दुख बांट रहे हैं। बाड़मेर शहर में पिछले कुछ दिनों में हुई मौतों के बाद किसी का उठावणे के दिन ही बारहवें व पगड़ी रश्म पूरी कर दी गई तो कोई बिना रिश्तेदारों के आए ही कार्यक्रम निपटा रहा है।

गौरतलब है कि कोरोना वायरस का संक्रमण विश्व में फैलने के बाद देश में भी चिंता की लकीरें खींच गई। इस बीच देश में कोरोना संक्रमण के मामले सामने आए तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 22 मार्च को जनता कर्यू की घोषणा की। इस दौरान प्रदेश के मुयमंत्री अशोक गहलोत ने 31 मार्च तक लॉक डाउन लगा दिया। देश के कई जिलों में लॉक डाउन को असर नहीं होने पर प्रधानमंत्री एक दिन पहले ही पूरे देश में लॉक डाउन कर दिया। इसके चलते जहां सार्वजनिक व निजी वाहनों की आवाजाही बंद होने से दूर-दराज बैठे रिश्तेदार चाहकर भी किसी की मौत पर बैठने नहीं आ पा रहे हैं तो दूसरी ओर शहर में पुलिस का प्रहरा सत होने से यहां के रिश्तेदार भी गमजदा परिवार को गम बांटने उनके घर की चौाट पर नहीं जा पा रहे हैं।

ऐसी स्थिति में गम की घड़ी में परिजन एक-दूसरे का दर्द बांट भगवान का इच्छा चुप बैठे हैं। स्थिति यह है कि हिन्दू संस्कृति के अनुसार बारहवें व इसके बाद होने वाली पगड़ी की रस्म भी होगी या नहीं, इसका परिजनों को पता नहीं है। वहीं, अल्पसंयक परिवारों की मौत पर जनाना भी नहीं निकाला जा रहा।
दोहरा दुख- अपनों को खोने से ज्यादा इस बात का दुख है कि परिवारवालों को रोने पर चुप कराने भी कोई नहीं आ रहा। हम ही एक-दूसरे को सांत्वना दे रहे हैं।

देश में कोरोना का कहर है तो फिर दूसरों की जिंदगी तो जोखिम में नहीं डाल सकते। दूर-दराज के रिश्तेदार फोन करके कह रहे हैं कि आ नहीं पाएंगे, हम भी मना कर रहे हैं कि अब आने से उल्टा आपको बीमारी लग गई और फैल गई तो सबके लिए मुसीबत हो जाएगी।- विजय परिवर्तित नाम

Source: Barmer News

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