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जोधपुर. पाली जिले के रोहिट के पास दूधिया गांव। 60 वर्ष के बूढ़े पिता हर रोज एमडीएम अस्पताल में कार्यरत कपाउंडर पुत्र को वीडियो कॉल करते हैं। पिछले 14 दिनों से एक ही सवाल पूछते हैं कि बेटा तू कैसा है? फिर कहते हैं, इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है… सेवा करना अच्छी बात है, लेकिन ये मत भूलना तूं और तेरा भाई हमारे लिए सब कुछ है। ध्यान रखना और सभी की सेवा करना।

एमडीएम अस्पताल के कोरोना पॉजिटिव रोगी वार्ड में नाइट ड्यूटी करने वाले कपाउंडर गणपत पालीवाल के लिए पिता मंशाराम का वीडियो कॉल अब एक रूटीन बन गया है। बात करते हैं पिता को तसल्ली देने के बाद फिर जुट जाते हैं काम में। गणपत के पिता किसान है। एक छोटा भाई रघु पालीवाल पढ़ाई करता है। समय मिलने पर हर रोज सुबह-शाम मंशाराम छोटे बेटे के फोन से गणपत से वीडियो कॉलिंग करते हैं। गांव की चौपाल में पिता मंशाराम को किसी ने बता दिया कि इस बीमारी का अभी कोई इलाज नहीं है, तब से मंशाराम डरे हुए हैं, लेकिन कपाउंडर गणपत हर रोज पिता से बात कर उनका आत्मविश्वास बढ़ाते हैं।

यहां झालामंड क्षेत्र में रहने वाले गणपत ने पत्नी व बेटे को भी गांव भेज दिया है। पिछले 14 दिनों से परिवार से दूर हैं। हर रात वे 4 से 5 बार वार्ड में भर्ती कोरोना पॉजिटिव मरीजों के पास जाते हैं। कइयों को जल्द ठीक हो जाने का आश्वासन देकर हौंसला अफजाही भी करते हैं। गणपत साल 2009 में स्वाइन फ्लू फैलने के दौरान एमडीएम अस्पताल में नियुक्त हुए थे। अब वे महामारी जैसी बीमारियों के एक्सपर्ट नर्सेज भी माने जाते हैं।

Source: Jodhpur

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