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बाड़मेर. गडरारोड सीमांत क्षेत्र के लोगों को कोरोना से बचाव के लिए बार-बार हाथ धोना तो समझ में आ गया लेकिन हाथ धोने को पानी कहां से लाना रहा, यह समझ में नहीं आ रहा है। क्षेत्र में पेयजल आपूर्ति के लिए लगी बिजली की मोटर जलने से पचास से अधिक गांवों में अभी पेयजल आपूर्ति की नहीं हो रही है।

पीने के पानी का संकट झेल रहे ग्रामीण अधिकारियों को कई बार बता चुके, अधिकारी लॉक डाउन की मजबूरी बता पल्ला झाड़ रहे हैं। सीमांत गडरारोड क्षेत्र के बिजावल, सुंदरा, रोहिड़ाला, रतरेड़ी कला, तानुमानजी, दुधोडा, खारची, तामलोर, शहदाद का पार सहित दर्जनों गांवों में ट्यूबेल खराब पड़े हैं।

एक घड़े के लिए मीलों का सफर

ग्रामीणों को पेयजल के एक घड़े के लिए मीलों दूर जाना पड़ रहा है। सुबह शाम लॉक डाउन के बावजूद पानी के लिए मशक्कत कर रहे इन लोगों के लिए अब हाथ धोने के लिए इस पानी का बार-बार इस्तेमाल करना मुश्किल है। वे कहते है कि घी तो घर पर पड़ा है लेकिन पानी इतना दूर है।

हमारे ग्राम पंचायत चेतरोड़ी मुख्यालय के तीनों ट्यूबवेल पिछले 1 माह से खराब है। कई बार सूचना देने के बावजूद इसे ठीक नहीं किया गया है। जीएलआर क्षतिग्रस्त है। विभाग से गुहार लगाई लेकिन ठीक नहीं हुआ है।

– रमेश कुमार, सरपंच चितरोड़ी

ग्राम पंचायत मुख्यालय के जीएलआर में पानी आए महीनों बीत चुके हैं। हम लोग दूर-दराज की पुरानी बेरियों से ऊंट गाड़े से पानी ले आते हैं। अब बताइए बार- बार हाथ धोने के लिए पानी कहां से लाएं

– अजीत सिंह

पानी की किल्लत से लॉकडाउन तोड़कर लोग पानी ला रहे हैं। टैंकर की कीमत 1000 रुपए हो गई है। तकनीकी खराबी बताकर ट्यूबवेल बंद कर दिए गए हैं। पानी तो उपलब्ध करवाए।

– भारथाराम लहुआ, रूपाकर

लॉकडाउन के चलते वर्कशॉप की दुकानें बंद है। इससे मोटर्स रिपेयरिंग नहीं हो पा रही है। ठेकेदार भी पाइप व अन्य सामग्री नहीं ला पा रहे है। ना ही मजदूरों से काम करवा पा रहे हैं

– विजेंद्र प्रसाद मीणा, सहायक अभियंता गडरा रोड।

Source: Barmer News

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