दिलीप दवे
बाड़मेर
दो वक्त की रोटी के लिए प्रदेश के हजारों प्रवासी मजदूरों किस्मत ने एक बार फिर से दगा दे दिया। बड़ी मुश्किल से वहां मजदूरी मिल रही थी कि देश में कोरोना का संकट आ गया और इसका असर उनकी रोजी-रोटी पर पड़ा। काम धंधे बंद हुए तो आवाजाही पर रोक लग गई। ऐसे में घर परिवार की याद आई और मजदूरी के पैसे लिए बिना ही यह लोग जैसे-तैसे घर पहुंचे। घर पहुंचने के बाद में भी मुसीबतें कम नहीं हुई पहले उन्हें लॉक डाउन की पालना में होम आइसोलेशन में रहना पड़ रहा है और दूसरी ओर मजदूरी की राशि भी उनको नहीं मिली है। अब उन्हें यह चिंता सता रही है की यहां दो वक्त की रोटी का प्रबंध कैसे कर पाएंगे। यह परेशानी परदेस से घर लौटे 17000 मजदूरों में से अधिकांश की है जो अपने मिलने-जुलने वालों से पांच सौ-हजार रुपए मांगते हुए कह रहे है कि लॉक डाउन खुलते ही मजदूरी के पैसे आएंगे तो उधारी चुका देंगे।
जिले में रोजगार की कमी के चलते हजारों की तादाद में लोग गुजरात महाराष्ट्र सहित देश के अन्य प्रदेशों में मजदूरी के लिए जाते हैं। वहां की मजदूरी से यहां उनके परिवार के लिए दो वक्त की रोटी का प्रबंध हो पाता है। यह स्थिति सालों से है बारिश होने पर यह लोग घर आते। इस बार भी इसी उम्मीद में गए थे कि दो पैसे कमा घरवालों की मदद कर पाएंगे, लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते देश में लॉक लग गया जिसका असर उनकी जिंदगी पर भी पड़ा। जहां वे काम कर रहे थे वहां कारखाने बंद हो गए। कामकाज ठप हो गया और मजबूरन वहां से घरों की ओर लौटना पड़ा। चोरी छुपे, इजाजत लेकर या पैदल चल हजारों की तादाद में बाड़मेर के लोग अपने घर पहुंचे। बाड़मेर पहुंचने के बाद प्रशासन ने इनको होम आइसोलेशन में रहने को कहा जिसकी वे पालना कर रहे हैं।
क्या कहते है मजदूर- मैं गोवा में फर्नीचर का काम करता हूं। लॉक डाउन के चलते 28 मार्च को यहां आ गया। रवाना होते वक्त कुछ रुपए थे जो खर्च हो गए। अभी घर में ही हूं। आय का स्रोत नहीं है। छह जनों का परिवार है, एक-एक दिन मुश्किल हो रहा है। गोवा वापसी की भी उम्मीद हाल फिलहाल नजर नहीं आ रही।- मगाराम सिद्धाराम हड़वा
उधारी के भरोसे चल रहा काम- राजकोट में काम करते थे, लॉक डाउन लगा तो यह भय था कि अब घर नहीं जाने देंगे। ऐसे में जो भी साधन मिला उससे घर पहुंचे। वहां तीन भाइयों की मजदूरी भी सेठ के पास ही रह गई। अब छोटे-मोटे काम के लिए भी लोगों से पांच सौ-हजार रुपए मांगने पड़ रहे हैं।- इब्राहिम, मजदूर राजड़ों की ढाणी
Source: Barmer News