दो साल की बेटी को ननिहाल छोड़ पति-पत्नी जुटे कोरोना संदिग्धों की सेवा में
जोधपुर. शहर के जाटों की ढाणी बनाड निवासी वीरेन्द्र चौधरी व उनकी पत्नी बबली सारण ने अपनी दो साल की बेटी को ननिहाल छोड़ कोरोना संदिग्धों की सेवा में जुटे है। जानकारी के अनुसार बबली सारण पिछले दो माह से कोरोना पॉजिटिव वार्ड में ड्यूटी दे रही है तथा उनके पति वीरेंद्र चौधरी फायरमैन है । जो शहर को सेनिटाइजर कर रहे हैं जहां भी कोई पॉजिटिव मिलता है तो फायर की गाड़ी लेकर पहुंच जाते है। पिछले डेढ़ माह से वीरेन्द्र घर नहीं गए तथा अलग रूम लेकर रह रहे हैं। उन्होंने बताया कि बबली कोरोना पॉजिटिव वार्ड में नर्सिंग ऑफिसर के रूप में अपना कार्य कर रही है तथा वीरेंद्र चौधरी फायर बिग्रेड की गाड़ी से जा पॉजिटिव मरीज मिलते हैं उन क्षेत्रों को सेनेटाइज करने का काम कर रहे है।
घर गए बीत गए तीन माह
महात्मा गांधी अस्पताल में कार्यरत मेल नर्स ज्ञान सागर मीणा कोटा जिले के इटावा कस्बे के गांव चांणदा निवासी है। इन दिनों पॉजिटिव रोगी वार्ड में सेवाएं दे रहे है। इनके पिता किसान हैं और सदैव फोन पर यही सलाह देते हैं कि वे देश के लिए अन्न पैदा कर गौरान्वित महसूस कर रहे है। इसी प्रकार महामारी में ज्ञान सागर को सेवा करते देख फक्र महसूस कर रहे हैं। ज्ञान सागर दो बड़ी बहनों के बीच सबसे छोटे हैं। पिता के बुढ़ापे का सहारा भी। अक्सर अपने साथियों के बीच मां-पिता को याद कर मीणा एमजीएच में भावुक हो जाते है। उन्हें घर गए, तीन माह बीत चुके हैं।
दोनों बेस्ट फ्रेंड्स, घर की याद आती है तो एक-दूसरे के आंसू पोंछती है
नेहा गहलोत व पबीना मंडल एमडीएम अस्पताल में नर्स है। लेकिन बेस्ट फ्रेंड भी। नेहा गहलोत का ससुराल तिंवरी है और पीहर पावटा मटकी चौराहा के पास। पबीना मंडल झालामंड निवासी है। कई बार नेहा अपने ढाई वर्षीय बेटे से बात करते वक्त भावुक हो जाती है और उन्हें पबीना संभालती है। इधर, पबीना पति से बात करते वक्त भावुक होती है तो नेहा संभालती है। एमडीएम अस्पताल दोनों नर्स सहेलियां कर्तव्य के प्रति भी उतनी ही सजग है। गहलोत व मंडल ने कहा कि इस महामारी के दौर में घर वालों की याद आती है। नेहा अपने पिता देवीलाल गहलोत और पबीना अपने पिता परिमल मंडल से रोज फोन पर बात करती है। दोनों के पिता अपनी बेटियों को लेकर बेहद चिंतित रहते हैं।
Source: Jodhpur