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गजेन्द्र सिंह दहिया/जोधपुर. हम लोग अरबों रुपए खर्च करके दूसरे ग्रह-उपग्रह पर जाकर वहां की चट्टानों के नमूने लाते हैं लेकिन प्रकृति कई बार हमें ऐसे नमूने घर बैठे फ्री भेजती है जो अंतरिक्ष विज्ञान की दृष्टि से अनमोल खजाना होते हैं। ऐसा ही अंतरिक्ष खजाना 6 जून 2016 को जयपुर के मुकुंदपुरा गांव में गिरे पांच किलो मिटीओराइट (अंतरिक्ष में विचरण करने वाले एस्टीरॉइड का ठोस कचरा) के साथ मिला। इसके शोध में चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है।

यह मिटीओराइट 4.5 बिलियन वर्ष यानी सूरज के जीवनकाल से भी पुराना है। इसमें कार्बनिक यौगिक मिले हैं जो जीवन का प्रथम प्रमाण माने जाते हैं। इसका एस्टीरॉइड बृहस्पति और मंगल ग्रह के बीच में चक्कर लगाता है यानी हमारे सौरमण्डल में कहीं और भी जीवन संभव है। मिटीओराइट पर इसरो से जुड़े अंतरिक्ष विज्ञानी डॉ नरेंद्र भंडारी के अलावा नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओसिएनोग्राफी, नेशनल जीयोफिजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट सहित देश के कई शैक्षणिक व अनुसंधान केंद्रों ने शोध किया।

अमीनो अम्ल मिले, जिनसे बनता है प्रोटीन
यह मिटीओराइट काले रंग का भंगुर प्रकृति का है। इसमें 40 कार्बनिक गुण,18 प्रकार के अमीनो अमल व 3 प्रतिशत कार्बन मिला है। अमीनो अम्ल, कार्बन व नाइट्रोजन से बना प्राथमिक कार्बनिक यौगिक है जिनसे प्रोटीन का निर्माण होता है। इन अमीनो अम्ल का दायां व बायां भाग बराबर है यानी ये रासायनिक क्रिया से संश्लेषित हुए हैं। ठीक वैसे ही जैसे पृथ्वी के वैज्ञानिक अपनी लैब में बनाते हैं। मिटीओराइट का तापमान 50 से 60 डिग्री के मध्य पाया गया। इसमें जल की प्रचुर मात्रा भी मिली है। इसके अलावा नेफ्थलीन जैसे एरोमेटिक यौगिक भी मिले हैं।

बिशन मेहता के खेत में मिले टुकड़े
मिटीओराइट के टुकडों को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने अपने कब्जे में ले लिया। यह बिशन मेहता के खेत में गिरा था। उसी दिन वहां जेएनवीयू जोधपुर के भौतिकी विभाग के पूर्व प्रोफेसर डॉ. आरपी त्रिपाठी पहुंचे और आटा छानने की छलनी से धूल में से कुछ 1-2 ग्राम के टुकड़े एकत्रित किए, जिस पर वैज्ञानिकों ने शोध किया।

अंतरराष्ट्रीय खगोल विज्ञान दिवस
पूरा विश्व अंतरराष्ट्रीय खगोल विज्ञान दिवस साल में दो बार बसंत में 2 मई और पतझड़ में 26 सितम्बर को खगोल विज्ञान दिवस मनाता है। यह दिवस मनुष्य का अंतरिक्ष से सम्बद्धता और उसमें रुचि पैदा करने के उद्देश्य से मनाया जाता है।

इस मिटीओराइट से कोशिका निर्माण संभव
इसमें मिले जैविक पदार्थ से कोशिका निर्माण संभव है। हमने कई मिटीओराइट पर शोध किया लेकिन यह वास्तव में विचित्र है जो सूर्य से पुराना होने और बृहस्पति-मंगल ग्रह के मध्य कार्बनिक पदार्थ का प्रमाण देता है।
– डॉ. नरेंद्र भंडारी, अंतरिक्ष विज्ञानी
(इसरो से जुड़े वैज्ञानिक हैं जो चंद्रयान मिशन में भी काम करते हैं।)

Source: Jodhpur

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