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गजेंद्रसिंह दहिया/जोधपुर. संयुक्त राष्ट्र संघ के कृषि एवं खाद्य संगठन की चेतावनी सही साबित हुई। रेगिस्तानी टिड्डी राजस्थान को पार करते हुए 27 साल बाद मध्यप्रदेश पहुंच गई है। यह मंदसौर से रतलाम होते हुए उज्जैन में हरियाली चट कर रही है। फसल कट चुकी है। ऐसे में अब पेड़-पौधों पर खतरा मंडरा रहा है। उधर पाकिस्तान से एक और टिड्डी दल मंगलवार को श्री गंगानगर के गढ़साना के रास्ते प्रवेश हुआ जो दोपहर बाद बीकानेर तक पहुंच गया।

मध्यप्रदेश में 1993 में टिड्डी ने प्रवेश किया था। पिछले साल पंजाब, गुजरात व राजस्थान में ही टिड्डी को रोक लिया गया था। टिड्डी चेतावनी संगठन की टीमें इस समय 5 टिड्डी दलों से जूझ रही हैं। बीकानेर के अलावा भीलवाड़ा में मौजूद टिड्डी चित्तौडगढ़़ में डेरा डाले हुए है। उधर उदयपुर से होती हुई टिड्डी डूंगरपुर पहुंच गई है जो अगले एक-दो दिन में गुजरात में प्रवेश कर जाएगी। वहीं राजसमंद में भी कुछ टिड्डी इक_ी होकर एक दल के रूप में मध्य प्रदेश की तरफ बढ़ रही है।

नहीं हो पा रहा नियंत्रण
टिड्डी चेतावनी संगठन की 50 टीमों के द्वारा टिड्डी पर नियंत्रण कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इस समय आ रही अधिकांश टिड्डी वयस्क गुलाबी पंख वाली है जो ऊर्जा और शक्ति से भरपूर है। पेस्टिसाइड स्प्रे करने के दौरान जनरेटर की आवाज से यह ऊंचाई तक उड़ जाती है जिसके कारण 30 से 40 प्रतिशत ही टिड्डी मरती है। किसानों की ओर से आवाज करके टिड्डी भगाने के कारण यह तितर-बितर हो जाती है और रात होते-होते फिर से एक बड़े दल के रूप में संगठित हो जाती है।

रात 9 बजे तक उड़ रही
गर्मी का मौसम होने और वयस्क टिड्डी में अधिक ताकत होने की वजह से यह रात के 9 बजे तक फ्लाई कर रही है। टिड्डी के बैठने पर ही इन पर पेस्टिसाइड छिड़कना आसान होता है।

Source: Jodhpur

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