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बाड़मेर. लॉकडाउन में भले ही जिंदगी ठहर सी गई हो, लेकिन दुनियां में आने वाली नई जिंदगियां नन्हीं सी मुस्कान के साथ जीवटता और कोरोना से लडऩे की हिम्मत दे रही है। यह हिम्मत एक मां को ही नहीं पूरे परिवार को मिल रही है, जिसमें एक नन्हा मेहमान आया है। चिकित्साकर्मी भी खुशी के साथ इन दिनों आने वाली नई जिंदगियों की खास देखभाल कर रही है।
कोरोना महामारी से नई पौध को बचाने के लिए बच्चे के पैदा होने से पहले ही चिकित्सा विभाग के कार्मिक पूरी तैयारी कर लेते हैं। जिससे मां-बच्चे को किसी भी तरह से कोरोना का खतरा नहीं हो। बाड़मेर के राजकीय अस्पताल में लॉकडाउन के 60 दिनों में 1197 बच्चों ने जन्म लिया है।
लॉकडाउसन में बेटे ज्यादा पैदा हुए
बाड़मेर के राजकीय अस्पताल की एमसीएम यूनिट में लॉकडाउन की अविध के पिछले दो महीनों में बेेटियों से ज्यादा बेटे पैदा हुए हैं। बेटियों की 587 तो बेटे 610 पैदा हुए। वहीं इनमें 9 से अधिक परिवारों में जुड़वा पैदा हुए। ऐसे में इन घरों में दोहरी खुशियां एक साथ आई।
मां-बच्चे की विशेष हो रही देखभाल
अस्पताल में प्रसव के लिए आने पर चिकित्साकर्मी कोरोना को लेकर विशेष देखभाल के इंतजाम करते हैं, जिससे मां-बच्चे को किसी तरह का संक्रमण नहीं हो। इसके लिए बार-बार हाथ धोने के साथ सेनेटाइजेशन पर पूरा फोकस किया जाता है। बिना जरूरत वार्ड में परिजन को भी आने की मनाही है।
छुट्टी पर मिल रही विशेष हिदायत
स्वस्थ होने पर मां-बच्चे को अस्पताल से 24 घंटे में छुट्टी दी जा रही है। इसके साथ ही खास हिदायत भी मिल रही है कि जिससे मां-बच्चा को लेकर कोरोना का किसी तरह का संक्रमण नहीं हो। परिवार के अलावा किसी भी आस-पड़ोस के लोगों से मिलने की मनाही का कहा जाता है। इसके साथ ही बच्चे का विशेष ख्याल रखने का कहा जा रहा है। जिससे मासूम को कोई खतरा नहीं हो।

Source: Barmer News

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