जोधपुर. कोविड-19 के प्रकोप की रोकथाम के लिए लॉकडाउन के चलते राजस्थान हाईकोर्ट की कार्यशैली में अभूतपूर्व परिवर्तन आया है। संक्रमण के खतरे को कम करने के लिए हाईकोर्ट सहित अधीनस्थ अदालतों में वीडियो कॉन्फे्रंसिंग से ही सुनवाई चल रही है, लेकिन फिलहाल अत्यावश्यक मामलों का ही निस्तारण किया जा रहा है। हाईकोर्ट प्रशासन ने हालांकि एहतियात के लिए लॉकडाउन से पहले ही 17 मार्च को सामाजिक दूरी सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक निर्णय ले लिए थे, जिनमें केंद्र और राज्य सरकार की गाइडलाइन के अनुसार अपेक्षित संशोधन किया जाता रहा। फिलहाल सभी नए मामलों की ई-फाइलिंग की जा रही है। किसी अधिवक्ता को मूल पत्रावली जमा करवाने के लिए नहीं जाना पड़ रहा। हाल ही कोर्ट फीस जमा करवाने की दुविधा का समाधान करते हुए ई-पे पोर्टल सेवा भी शुरू कर दी गई है।
रोजाना डेढ़-दो सौ मामलों की सुनवाई
कई वरिष्ठ अधिवक्ताओं का कहना है कि उनके जीवन काल में यह पहली बार है, जब वे वीसी के माध्यम से दलीलें दे रहे हैं। मुख्यपीठ में कार्यदिवस में एक खंडपीठ व तीन एकलपीठें रोजाना डेढ़ से दो सौ मामलों की सुनवाई कर रही है। अधिकांश मामले जमानत, पैरोल याचिका या बंदी प्रत्यक्षीकरण जैसी आपराधिक याचिकाओं से जुड़े हैं।
…तो होगा अभिनव प्रयोग
हाईकोर्ट प्रशासन ने खंडपीठ में अंतिम निस्तारण योग्य मामलों की सुनवाई का विकल्प खोला है, लेकिन यदि दोनों पक्षकार सहमति प्रदान करते हैं तो ऐसे मामलों को वीसी के माध्यम से निस्तारित करना एक अभिनव प्रयोग होगा। लॉकडाउन-1 से लेकर 4 की अवधि के बीच ई-कोर्ट के अनुभवों को देखते हुए अधिकतम न्यायिक कार्य संपादित करने के लिए अब कार्य समय भी बढ़ा दिया गया है।
जित्सी मीट एप का प्रयोग
अदालत परिसर में अधिवक्ताओं और पक्षकारों को व्यक्तिगत उपस्थित से राहत देने के साथ-साथ वीसी से सुनवाई के लिए जित्सी मीट एप का इस्तेमाल किया जा रहा है। यदि किसी तकनीकी कारणवश इस एप से वीसी नहीं हो पा रही तो व्हाट्सएप वीडियो कॉलिंग का विकल्प भी है। वीसी से मुख्यपीठ तथा जयपुर पीठ की फुल कोर्ट की बैठक आयोजित होने से अब यह संभावना है कि भविष्य में फुल कोर्ट की बैठक के लिए किसी एक पीठ के न्यायाधीशों को जयपुर या जोधपुर आना-जाना नहीं पड़ेगा।
धीरे धीरे पकड़ी रफ्तार
मार्च के एक सप्ताह में केवल तीस मामलों की सुनवाई हुई वहीं अप्रेल में यह आंकड़ा 1600 तक पहुंच गया। मई के पहले 15 दिन में ही तीन हजार से ज्यादा मामलों की सुनवाई वीसी के जरिए हुई। आम तौर पर हाईकोर्ट की जयपुर व जोधपुर बैंच में रोजाना करीबन तीन हजार मुकदमे सूचीबद्ध होते हैं।
अब भी कई सुधार की दरकार
उच्च न्यायालय प्रशासन ने ई-फाइलिंग, ई-पे जैसी सुविधा जरूर दी है, लेकिन अभी तक भी सभी सरकारी दस्तावेज पीडीएफ फार्मेट में नहीं होने से परेशानी हो रही है। मूल दस्तावेज, फाइल भी मांगी जा रही है।
Source: Jodhpur