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रतन दवे
बाड़मेर.
सर्दी,गर्मी या फिर मौसम की कोई भी विकट परिस्थिति। बीएसएफ के जवान पड़ौसी मुल्क की हरकत पर नजर रखने के लिए अब तक छप्पर, टीन या खुली छत के सहारे ही थे। जैसे-तैसे इंतजाम कर विकट परिस्थितियों में सरहद की हिफाजत में रहने वाले इन जवानों को अब छप्परवास से मुक्ति मिलेगी।
दो मंजिला वॉच टॉवर जवान को इतनी सहुलियत देगा कि वह 12 घंटे की ड्युटी में खुद की परेशानियों को भूलकर दुश्मन की हरकतों पर कड़ी निगाह गाड़े रहेगा।
पाकिस्तान से लगती पश्चिमी सीमा पर वॉच टॉवर ऐसी जगह पर बनाए गए है जहां से पाकिस्तान पर दूर-दूर तक नजर रखी जा सके। इन वॉच टॉवर पर खड़े होकर जवान 24 घंटे नजर रखते है। इन वॉच टॉवर पर 8-8 घंटे की ड्युटी पर जवान रहते है।

पहले यह परेशानी

वॉचटॉवर पर करीब डेढ़ दशक पहले छाया-पानी व अन्य इंतजाम नहीं थे। इसके बाद बीएसएफ ने बॉर्डर पर 50 डिग्री तक पहुंचती गर्मी के चलते अपने स्तर पर टीन-चद्दर या घासफूस डालकर इस तरह बनाया ताकि गर्मी में यहां छाया में बैठा जा सके और बारिश में पानी से बच जाए। इन वॉच टॉवर पर भी विकट परिस्थिति में जवान मुश्तैदी से ड्युटी करते रहे लेकिन उनकी परेशानियां ज्यादा रहती थी।

अब होंगे आधुनिक

जवानों को वॉच टॉवर की इन परेशानियों से अब निजात मिलेगी।बीएसएफ ने अब दो मंजिला वॉच टॉवर बनाने शुरू कर दिए है। इस दो मंजिला वॉच टॉवर में नीचे टॉयलट-बाथरूम व एक स्टोररूम दिया गया है। ऊपर की दो मंजिल से जवान दुश्मन पर दूर-दूर तक नजर रख सकेगा। यहां पर आरसीसी की छत होने से जवान को यहां बैठकर नजर रखने में सहूलियत रहेगी। हवा के लिए पंखे का इंतजाम व बिजली का इंतजाम भी किया गया है। वॉच टॉवर पर 24 घंटे बिजली रहे इसके लिए इनको सौर ऊर्जा से जोड़ा गया है।

64 बीओपी पर बनने लगे टॉवर

एक बीओपी के क्षेत्र में 3 से 4 वॉच टॉवर आ जाते है। इन वॉच टॉवर में से प्रथम चरण में 15 से 20 टॉवर का निर्माण किया जाना है। पूरे बॉर्डर क्षेत्र में ये टॉवर लगातार बनाए जाएंगे। वॉच टॉवर बन रहे हैवॉच टॉवर का निर्माण कई जगह पर हुआ है और कुछ जगह अगले चरण में होगा। जवानों को इससे सहूलियत मिलेगी और वे पड़ौसी मुल्क की हर हरकत पर निगाह रखने में भी और मुश्तैद होंगे।- गुरपालसिंह, डीआईजी बीएसएफ बाड़मेर सेक्टर

Source: Barmer News

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