रतन दवे
बाडमेर.
शाहरूख, सलमान,आमिर हों या फिर ऐश्वर्या, कपिल शर्मा और अमिताभ। इन लोगों को देखते ही जहां मंच हों वहां दीवाने हो जाते है। दीवानगी इस कदर कि ये इनके साथ झूमने गाने लगते है। फिल्म अदाकार ही नहीं मोरारी बापू हों, पूर्व राजा महाराजा या फिर राजनेता हर किसी को इन्होंने झूमने को मजबूर किया है। ये इस कदर जादू बिखरते है कि सुनने और देखने वालों का रोम-रोम पुलकित होकर नाचने लगता है। ये है बाड़मेर के मांगणिहार कलाकार…।
बाड़मेर -जैसलमेर के मांगणिहार कलाकारों की बात ही निराली है। ठेट देसी गायकी के ये कलाकार इन दिनों टीवी शो में अपने रंग बिखेरने लगे है। टीवी का म्युजिकल शो हों या कपिल शर्मा का कॉमेडी शो जहां पर भी इनको बुलाया जाता है वहां ये अपनी गायकी, खड़ताल वादन और सुरों के साथ पहनावे से मोहित कर रहे है आर अतिथि फिल्मी कलकार और जज बनकर आने वाले इनकी तारीफ के पुल बांधते नजर आ रहे है।
क्या है मांगणिहार गायकी
बाड़मेर जैसलमेर में मांगणिहार और लंगा कलाकार है। इन कलाकारों को गायकी जन्मजात मिली हुई है। यजमानों के यहां पर शादी और विशेष अवसर पर गाना बजाना करने वाले इन परिवारों से विशेष अवसर पर रंगत जमती है। मांगणिहार कलाकार के गीतों से ही इन दोनों जिलों में परिवारों में समारोह होते है। इन परिवारों का आर्थिक उपार्जन इसी गायकी पर है।
कोमल दा ने पहुंचाया अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर
मांगणिहार गायक पहले यजमानों के यहां गाकर ही अपना भरण पोषण कर रहे थे इनकी कला को कोमल कोठारी ने पहचाना और उन्होंने मांगणिहार लोक गायकी के लिए देश विदेश में मंच तैयार किया। इसी का नतीजा है कि मांगणिहार गायक 85 से अधिक देशों की यात्रा कर चुके है। देश और विदेश में राष्ट्रपति भवन से लेकर बड़े-बड़े मंचों पर पहुंचकर इन्होंने देश के नामी गिरामी कलाकारों के साथ में मंच साझा किया है। जिसमें बॉलीवुड के बड़े बड़े संगीतकार और घरानों के कलाकार शामिल है।
इन दिनों टीवी पर धूम
पिछले एक दशक में टीवी कार्यक्रमों में म्युजिक व कॉमेडी शो होने लगे है। इन शो में मांगणिहार कलाकारों की विशेष उपस्थिति दर्ज होने लगी है। इन कलाकारों की ओर से देशी रंगत छेडऩे पर कार्यक्रम की शान बढऩे लगी है। इसलिए हर टीवी कार्यक्रम में इनकी उपस्थिति देखते ही बनती है।
पहनावा और वाद्य यंत्र विशेष
राजस्थानी पहनावे के साथ खड़ताल का वाद्य यंत्र होने से इनको विशेष पहचान मिली हुई है। साफा, तेवटा और रंग बिरंगी पोशाक के साथ ये कलाकार जब खड़ता का वादन करते है तो अन्य वाद्य यंत्रों से अलग नजर आते है।
इज्जत बख्श रहे है
टीवी ने हमें इज्जत बख्शी है। कई कार्यक्रमों में अब बाड़मेर के कलाकारों को बुलाया जा रहा है। इसमें कई नाम तो इतने बड़े हो गए है कि वे हमारी आने वाली पीढ़ी के लिए भी इस कला को जिंदा रखने का जरिया बनेंगे। टीवी कलाकार हमें एक कलाकार समझकर कद्र देते है, चाहे वे शाहरूखखान हों या फिर आमिरखान। कई स्टारों से हाथ मिला चुके है और दाद पा चुंके है।- अनवरखां बहिया, अंतरर्राष्ट्रीय कलाकार
कला का खजाना है
मांगणिहार लोक गायकी कला का खजाना है। हमें जन्मजात मिली है। फिल्मी कलाकारों के साथ मोरारी बापू भी हमें कथा में बुलाकर सुनते है। सूफी गायकी सबको बेहद प संद आ रही है। इस कला को आगे बढ़ाने की जरूरत है।- फकीराखां, अंतर्राष्ट्रीय कलाकार
Source: Barmer News