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बाड़मेर.
पाकिस्तान में भारत जाने का गीत..। सुनकर अचरज होगा लेकिन सिंध इलाके में यह गीत अब बच्चे और बड़ों की जुबान पर इतना लोकप्रिय हो गया है कि इसके ऑडियो सुनने पर ही जिन पाकिस्तान के लोगों के दिल में हिन्दुस्तान बसा है उनको सकून होने लगा है। कोरोना के दौर और थार एक्सप्रेस बंद होने से हालांकि इस गीत के अब मायने नहीं रहे है लेकिन गाने वालों को उम्मीद है कि वे भारत जाएंगे।
पाकिस्तान के सिंध इलाके के थारपारकर, मिठी, छाछरो सहित पूरे क्षेत्र का भारत से नाता है। बंटवारे के बाद आधे परिवार इधर रह गए और आधे उधर। इन दिनों पाकिस्तान में बहुसंख्यकों ने हिन्दुओं पर जुल्मों सितम बढ़ा दिए है। हिन्दू बेटियों का अपहरण, जबरन निकाह, धर्म परिवर्तन, भेदभाव और अत्याचार में हिन्दुओं का पाकिस्तान में रहना मुश्किल होने लगा है। इनके लिए अब भारत ही उम्मीद है लेकिन भारत आने के रास्ते बंद है।

यह गीत गा रहा सिंध का बच्चा-बच्चा

सिंध में इन दिनों एक गीत बच्चे-बच्चे की जुबान पर है। यह गीत है अलबेलो इंडिया तो जाए, भळै पछो कोनी तो आए….यानि अलबेला अब इंडिया जाएगा और फिर कभी वापिस नहीं आए। रिमझिम रेल चढ़े, अलेबलो इंडिया तो जाए…मतलब थार एक्सप्रेस में बैठकर वह इंडिया जाएगा। सारा साथी भैळा होए फोटूड़ा पाओ.. यानि सभी साथी आओ और मेरे फोटो ले लो ताकि बाद में मिलना नहीं हों तो भी ठीक है।

धोरों में गूंज रहा तराना

पाकिस्तान के सिंध इलाके में भी धोरे है। इन इलाकों में बच्चे बकरिया चराने और अन्य कार्य से पहुंच रहे है। उनके अधिकांश ऑडियो वहीं से रीलिज होने लगे है। कई ऑडियो स्कूल के भी है जिसमें बालसभाओं में बच्चे जोर जोर से यह गीत गा रहे है।

यह आजादी का तराना लगता है

गीत और संगीत अंदर के भाव होते है। सिंध में इस दौर में लोग बड़े मुश्किल है। वास्तव में यह आजादी का तराना है। बच्चों ने इंडिया नहीं देखा है लेकिन उनके मन में यह बात है कि इंडिया में सकून है और यहां जिल्लत और अत्याचार के कारण अब परेशान हो चुके है तो वे वहीं जाएंगे। इस गाने को गाते हुए बच्चों का अंदाज देखते ही बन रहा है।– डा. बाबूदान चारण, अध्यक्ष ढाट पारकर सोसायटी

Source: Barmer News

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