आसोप (जोधपुर). कस्बे सहित आसपास के ग्रामीण इलाकों में प्लास्टिक के फूल बेचकर पेट भरने वाले पंजाब के संगरूर जिले के रहने वाले 35 लोगों की झोली उस समय खुशियों से भर गई जब तीन माह बाद उनके घर जाने की नि:शुल्क व्यवस्था हो गई।
स्थानीय राजीव गांधी युवा मंडल के अध्यक्ष मनोहर परिहार ने इन लोगों की समस्या से संबंध में महात्मा गांधी जीवन दर्शन समिति के जिला समन्वयक शिवकरण सैनी को अवगत करवाया। उन्होंने मुख्यमंत्री कार्यालय में सम्पर्क कर सरकारी मदद से वाहन उपलब्ध करवाकर इन लोगों को सुरक्षित अपने घर के लिए रवाना किया।
हुआ यूं कि पंजाब के संगरूर जिले की मलेर कोटला तहसील के कुपकलां गांव के करीब 35 लोग तीन-चार माह पहले परिवार सहित आसोप में आए। ये यहां डेरा लगाने के बाद आसपास के गांवों में प्लास्टिक के फूल और मालाएं आदि बेचकर जीवनयापन कर रहे थे। लेकिन करीब 3 माह पहले वैश्विक महामारी कोरोना वायरस को लेकर लागू किए गए लॉकडाउन में ये लोग यहां फंस गए।
लॉक डाउन में आंशिक छूट भी मिली पर इनके पास इतने पैसे नहीं थे कि किराए की गाड़ी लेकर अपने गांव जा सकें। इस दौरान कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं एवं स्वयंसेवी संस्थाओं ने इनके खाने-पीने की व्यवस्था तो कर दी परन्तु एक साथ इतने लोगों को गांव पहुंचाने की व्यवस्था कोई नहीं कर पाया।
दो दिन पहले ही बजट सलाहकार समिति के सदस्य शिवकरण सैनी के सामने जब यह मामला आया तो उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से दूरभाष पर बात की। जिस पर सीएमओ ने पंजाब सरकार से बात कर स्वीकृति ली और इसके बाद जिला कलक्टर जोधपुर को श्रमिकों को उनके गांव तक पहुंचाने के लिए व्यवस्था करने के निर्देश दिए गए। इसके बाद शनिवार को जिला प्रशासन की ओर से भेजी गई रोडवेज की बस से इन श्रमिकों को पंजाब रवाना किया गया।
Source: Jodhpur