बाड़मेर. कोरोना महामारी के कारण मेडिकल कॉलेज अस्पताल में मरीजों को मिलने वाली कई सुविधाओं अब सलेक्टिव की श्रेणी को मिल रही है। इनमें आंखों की जांच बात की जाए तो अब चुने हुए मरीजों को ही चश्मे के नंबर मिल रहे हैं। इनके लिए भी समय निर्धारित किया गया है। ओपीडी भले ही सुबह 8 से दोपहर 2 बजे तक है, लेकिन आंखों के लिए चश्मा लेना है तो केवल दो घंटे की ओपीडी है। इसके चलते कई मरीज निजी में जांच करवा रहे हैं।
कोरोना के चलते नेत्र रोगियों की जांच का काम अप्रेल महीने में बंद ही रहा। बाद में सभी ओपीडी का संचालन करने के निर्देश मिलने पर कुछ में मरीजों को राहत मिलने लगी। लेकिन कोरोना के कारण आंखों की जांच के दौरान सीधे कान्टेक्ट होने के कारण खतरा ज्यादा माना गया। बहुत ही ज्यादा जरूरी होने पर किसी मरीज को चश्मे के नंबर मिल पाते हैं।
संक्रमण का खतरा ज्यादा
अस्पताल की सामान्य ओपीडी में सिरदर्द आदि की शिकायत के चलते आने वाले मरीजों का विजन टेस्ट नेत्र विभाग की ओपीडी में किया जा रहा है। चिकित्सक बताते हैं कि विजन टेस्ट में कोई परेशानी आती है तब उसकी आंखों की जांच करनी पड़ती है, जिसमें चश्मा के नंबर निर्धारित होते हैं। ऐसे में नेत्र रोगी को फ्रेम पहनाना और बार-बार कांच बदलकर उसका टेस्ट करना पड़ता है। ऐसी स्थिति में संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए अभी अधिकांश चश्मे के नंबर के टेस्ट टाले जा रहे हैं। जरूरी केस में नंबर दिए जा रहे हैं।
बहुत ही कम मरीजों की हो पाती है जांच
ओपीडी में मरीजों के सेनेटाइजेशन के पूरे इंतजाम किए गए हैं। फ्रेेम लगाने से पहले उसे सेनेटाइज किया जाता है। वहीं बाद में फिर से फ्रेम व कांच को डिसइन्फेक्ट किया जाता है। लेकिन इस प्रक्रिया में काफी समय लगता है, इसके चलते बहुत की कम मरीजों के का टेस्ट हो पाता है।
चश्मे के नंबर के लिए लिए दो घंटे ही जांच
चश्मे के नंबर के लिए अभी सुबह के वक्त 2 घंटे जांच की जाती है। कोरोना के कारण आंखों के सीधे संपर्क में आने के कारण खतरा ज्यादा रहता है। इसलिए चयनित मरीजों को ही अभी नंबर दिए जा रहे हैं।
डॉ. शक्ति राजगुरु, नेत्र विशेषज्ञ राजकीय मेडिकल कॉलेज अस्पताल बाड़मेर
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बढ़े हैं ऐसे ग्राहक
पिछले कुछ समय से ऐसे लोग ज्यादा आ रहे हैं, जिनके चश्मे के नंबर बढ़े हैं। कंप्यूटरीकृत मशीन से उनकी जांच कर चश्मा बनाते हैं। आई टेस्ट के लिए फ्रेम लगाकर जांच की जाती है। कोरोना के चलते सुरक्षा के सभी उपाय करते हुए जांच की जाती है।
तरूण भाटी, चश्मा विक्रेता
Source: Barmer News