– नंदकिशोर सारस्वत
जोधपुर. जोधपुरवासी भले ही राज्य पक्षी ग्रेट इंडियन बस्टर्ड गोडावण को प्रत्यक्ष कभी ना देख पाए हो लेकिन जल्द ही अब उसके अंडे का दीदार कर सकेंगे। करोड़ों खर्च और लाख जतन के बावजूद देश में राज्यपक्षी गोडावण अब लुप्त होने के कगार पर है। राज्यपक्षी गोडावण की संख्या को बढ़ाने के लिए 36 साल पहले जोधपुर जंतुआलय के तत्कालीन अधीक्षक वाइडी सिंह ने जंतुआलय के ही एकमात्र नर गोडावण का जोड़ा बनाने के लिए देश भर में तलाश शुरू की थी। वर्ष 1984 में मैसूर जू से एनिमल एक्सचेंज योजना के तहत मादा गोडावण आखिरकार मिल ही गया। जोधपुर लाने के बाद गोडावण जोड़े को 11 अगस्त 1985 में साथ रखकर कैप्चर ब्रीडिंग के प्रयास शुरू किए जिसमें 24 अप्रैल 1986 में सफलता मिली । लेकिन अंडे से चूजा नहीं निकल पाया । इस प्रयोग के बाद ही केंद्र व राज्य सरकार की ओर से देश के प्रतिष्ठित वन्य जीव संस्थान देहरादून के साथ मिलकर विश्व का पहला गोडावण कृत्रिम हैचिंग सेंटर सम जैसलमेर में स्थापित किया गया जहां परिणाम के रूप में अब तक 8 चूजे अंडे से निकलकर नन्हें गोडावण बन गए हैं । अब उसी हैचिंग सेन्टर से एक अनफर्टिलाइज गोडावण का अंडा जोधपुर के माचिया जैविक उद्यान भेजा गया है ताकि लोगों में गोडावण संरक्षण की भावना विकसित हो सके।
चार दशक में दस प्रतिशत ही बचे
करीब चार दशक पूर्व थार के विभिन्न क्षेत्र में गोडावण की संख्या करीब 1400 थी जो वर्तमान में घटकर दस प्रतिशत से भी कम रह गई है। हाल ही में की गई ग्रीष्मकालीन वन्यजीव गणना में भी मात्र 19 गोडावण ही नजर आए थे।
क्या है कृत्रिम निषेचन
सामान्यता दुर्लभ एवं संकटग्रस्त पक्षियों के लगभग 10 प्रतिशत अंडे निषेचित होकर चूजे नहीं बन पाते हैं जिसका मुख्य कारण अंडे के जनक नर पक्षी का कमजोर अथवा अपर्याप्त जनन और ताप दाब एवं समय आदि पर्यावरणीय कारक है। अत: संतुलित मात्रा में पर्यावरणीयकारक स्वस्थ जनक मादा एवं नर पक्षी ही स्वस्थ अंडे को पैदा करता है और वही अंडा आगे चूजा बनता है।
हेम सिंह गहलोत, सदस्य, स्टेट वाइल्डलाइफ स्टैंडिंग कमेटी
अब अनुमति का इंतजार
गोडावण संवर्द्धन एवं प्रजनन केन्द्र जैसलमेर से एक अनफर्टिलाइज अंडा जोधपुर भेजा गया है। सीजेडए अनुमति के बाद माचिया जैविक उद्यान के दर्शकों के लिए रखा जाएगा।
महेश चौधरी, उपवन संरक्षक जोधपुर
Source: Jodhpur