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जोधपुर. मारवाड़ का सियासी समीकरण जयपुर में हो रही उठापटक से प्रभावित हो रहा है। कांग्रेस में जहां मारवाड़ में सबसे बड़ा नाम सूबे के मुखिया अशोक गहलोत का ही है, वहीं दूसरी ओर भाजपा में जिन नेताओं को पूरे घटनाक्रम पर नजर रखने को कहा गया है वह भी मारवाड़ से ही आते हैं। जोधपुर के सभी कांग्रेसी विधायकों ने गहलोत के प्रति निष्ठा दिखाई है।

खास बात यह है जिले में जो 7 विधायक कांग्रेस के हैं, उनमें खुद गहलोत के अलावा बाकी सभी पहली बार सदन पहुंचे हैं। पायलट खेमा मारवाड़ में ज्यादा मजबूत नहीं है। लेकिन पाली व जोधपुर के एक-दो विधायकों पर सवाल खड़े किए जा रहे थे। सोमवार को सीएमआर में हुई विधायक दल की बैठक में इन अटकलों पर भी विराम लग गया। जोधपुर सहित मारवाड़ के अन्य जिलों में पायलट के समर्थक तो हैं, लेकिन उनके नजदीकी सत्ता या किसी निर्वाचित पद पर नहीं पहुंच पाए। इसके लिए भी पटकथा सीएम गहलोत ने दो साल ही लिख दी थी, तब उन्होंने जोधपुर संभाग के सभी टिकट फाइनल करने से लेकर प्रचार की रणनीति अपने हाथ में ले ली थी।

विधायकों का गणित
– 10 विधायक हैं जिले में
– कांग्रेस – 07
– भाजपा – 02
– आरएलपी – 01

गहलोत खेमा
गहलोत सहित सभी 6 विधायक उनके खेमे में ही नजर आ रहे हैं।

सभी नए चेहरों पर खेला गया दांव, अब निष्ठा भी उनके साथ
गहलोत ने २०१८ के विधानसभा चुनाव में अपने जिले में कांग्रेस से जितने भी टिकट दिए उनमें अधिकांश नए चेहरे थे। सरदारपुरा सीट से उनके खुद के अलावा सभी कांग्रेसी विधायक पहली बार सदन में पहुंचे हैं। एेसे में उनकी पूरी निष्ठा फिलहाल गहलोत के साथ है।

जिनको पहली बार सदन तक गहलोत ले गए
– शहर विधायक मनीषा पंवार को महिला कांग्रेस जिलाध्यक्ष पद से सीधा विधायक का टिकट सीएम की वजह से मिला और वह सदन में पहुंची। पहली बार में ही उन्होंने जीत दर्ज की।

– लूणी से दिग्गज नेता रहे रामसिंह विश्नोई के परिवार से युवा महेन्द्र विश्नोई को गहलोत ने ही मैदान में उतारा। उन्होंने जीत दर्ज की। पहली बार सदन में पहुंचे।

– लोहावट से किसनाराम विश्नोई को पहली बार चुनावी मैदान में उतारा और वे सदन पहुंचे।

– ओसियां से मदरेणा परिवार की युवा सदस्य दिव्या मदेरणा को मैदान में उतारा। वह भी जीत कर सदन पहुंची। हालांकि पहले कयास लगाए जा रहे थे कि वे पायलट खेमे के नजदीक हैं, लेकिन सोमवार को वे सीएमआर में बैठक में पहुंची।

– बिलाड़ा से जीत कर पहली बार सदन में पहुंचे हीराराम मेघवाल, हालांकि ये पहले चुनाव तो लड़ चुके थे, लेकिन जीते नहीं थे।

– शेरगढ़ से मीना कंवर पहली बार चुनावी मैदान में उतरी और जीती। उनके पति उम्मेद सिंह पहले चुनाव लड़े चुके थे, लेकिन जीते नहीं।

Source: Jodhpur

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