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जोधपुर. कांग्रेस सरकार के अल्पमत के होने की अटकलों पर दो दिन पहले विराम लग गया। 109 का आंकड़ा सीएमआर में विधायक दल की बैठक में गिनवाया गया। सियासी गणित का यह आंकड़ा और जोड़-तोड़ कर सरकार चलाने में गहलोत माहिर है। 2008 में पूर्ण बहुमत न होते हुए भी 5 साल सरकार चलाई थी। तब भी मारवाड़ में गहलोत को कांग्रेसी विधायकों का साथ इतना ही था जितना इस बार मिला है।

जोधपुर संभाग की ३३ सीटों में पिछली बार यानि कि 2008 में भी 50 प्रतिशत से ज्यादा सीटें नहीं मिली थी। लेकिन इसके बावजूद मारवाड़ में कांग्रेस का वर्चस्व कायम रहा। जोधपुर जिले में तो उस समय 10 में से मात्र 4 सीटें ही कांग्रेस के खाते में थी। जो कि इस बार 7 है। कांग्रेस के पास स्पष्ट बहुमत का जादुई आंकड़ा भी नहीं था, लेकिन गहलोत की जादूगरी कायम थी। संसदीय सचिव से लेकर मंत्रालय में मारवाड़ की उपस्थिति अच्छी थी, इस बार अब मंत्रालय विस्तार में फिर से मारवाड़ की उम्मीद जगी है।

अभी यह स्थिति
अभी संभाग से दो केबिनेट मंत्री हैं। हरीश चौधरी व सालेह मोहम्मद। इसके अलावा सांचौर से सुखराम विश्नोई स्टेट मिनिस्टर हैं। अब मंत्रालय विस्तार, संसदीय सचिव व अन्य नियुक्तियों में मारवाड़ को प्रतिनिधित्व मिलने की उम्मीद जगी है। क्योंकि अब सीएम गहलोत फ्री हैंड होकर नियुक्तियां कर सकेंगे।

वर्ष 2008 का गणित
– 200 में से 96 सीट जीती थी चुनाव में कांग्रेस में

– जोधपुर संभाग में 33 में से 16 विधायक कांग्रेस के थे। 15 भाजपा और 2 निर्दलीय थे।

– जोधपुर जिले में कांग्रेस के पास 10 में से 4 सीटें ही थी।

वर्ष 2018 की स्थिति
– 200 में से 100 सीटें कांग्रेस ने एसेम्बली इलेक्शन में जीती, लेकिन अब विधानसभा में १०७ विधायक हैं।

– जोधपुर संभाग में 33 में से कांग्रेस के 16 विधायक हैं। भाजपा के 14 निर्दलीय 2 और एक रालोपा विधायक है।

– जोधपुर जिले में पिछले बार से स्थिति अच्छी है। 10 में से 7 कांग्रेस के विधायक हैं।

Source: Jodhpur

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