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बाड़मेर. बारिश की शुरूआत के साथ ही मौसमी बीमारियों को लेकर चिकित्सा विभाग ने कमर कस ली है। कोरोना के साथ मौसमी बीमारियों से निपटना किसी चुनौती से कम नहीं होगा। बदलते मौसम के बाद स्वाइन फ्लू व डेंगू के मरीजों की बढ़ती आशंका को देखते हुए प्रदेश के सभी जिलों के अधिकारियों को अधिक सतर्कता बरतने को कहा गया है।
कोरोना के बीच अन्य बीमारियों को लेकर चिकित्सा संस्थानों में ज्यादा ध्यान नहीं दिया जा रहा है। खांसी-जुकाम व बुखार होने पर उसकी कोविड-19 की जांच को प्राथमिकता दी जा रही है। जबकि विशेषज्ञों का कहना है कि बदलते मौसम में यह बुखार डेंगू भी हो सकता है। इसलिए मरीज की अच्छी तरह से जांच होनी चाहिए। साथ ही खांसी-जुकाम के मरीज का कोरोना के लक्षण मिलने उसकी कोविड जांच तो हो, लेकिन स्वाइन फ्लू का टेस्ट भी करवाना चाहिए। जिससे स्वाइन फ्लू से होने वाली संभावित मौतों पर भी नियंत्रण किया जा सके।
कोरोना से पहले स्वाइन फ्लू रहा है घातक
कोरोना महामारी से पहले स्वाइन फ्लू भी काफी घातक साबित हुआ है। संक्रामक रोग होने के जल्दी फैलता रहा है। इसी के चलते कोरोना के साथ ही स्वाइन फ्लू से भी विभाग को मुख्यालय से मिले निर्देशों में अभी से सतर्कता बरतने के लिए कहा गया है।
बाड़मेर में पिछले दो सालों में स्वाइन फ्लू के मरीजों की संख्या काफी रही है। इस साल 1 जनवरी से 1 जून तक की रिपोर्ट में अब तक 4 स्वाइन फ्लू पॉजिटिव मिले चुके हैं। वहीं 20 नमूनों की ही जांच हुई है।
चिकित्सा संस्थानों में उपलब्ध हो पल्स ओक्सीमीटर
स्वाइन फ्लू रोगी की जांच में पल्स ओक्सीमीटर काफी उपयोगी है। इसके लिए निदेशालय ने चिकित्सा संस्थानों में इसकी उपलब्ध सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है। जिससे मरीज की पहचान जल्द हो सके तथा उपचार शुरू हो।
सर्वे शुरू करवाने के निर्देश
निदेशालय, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं की ओर से सीएमएचओ को मौसमी बीमारियों को लेकर सर्वे के दल बनाने निर्देश दिए गए हैं। साथ ही पूर्व में जहां पर ज्यादा प्रकोप रहा है, ऐसे स्थानों पर विशेष ध्यान देने के लिए कहा गया है। ताकि बीमारियां ज्यादा नहीं फैले और समय रहते नियंत्रित किया जा सके।
मौसमी बीमारियां
-डेंगू
-मलेरिया
-चिकनगुनिया
-स्वाइन फ्लू
-स्क्रब टाइफस

Source: Barmer News

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