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जोधपुर. हर संकट, दुविधा परिस्थितियों में हमारी आस्था अक्षुण्ण रही है। कोरोना संक्रमण जैसी बाधाओं के उपरांत भी पूजा, अर्चना, अरदास, प्रार्थना, यज्ञ आदि एकांतवास और बिना किसी प्रदर्शन दिखावे के लगातार जारी है। यही कारण है की कोरोना संक्रमण का काला साया हमारी धार्मिक आस्था पर भारी पड़ रहा है। श्रावण मास में शिवालय के कपाट बंद होने के बावजूद घरों में शिव आराधना जारी है। शिवालयों में भी पुजारियों की ओर से ऋतुपुष्पों का शृंगार, आरती, अभिषेक नियमित रूप से जारी है।

जैन चातुर्मास स्थलों पर श्रावकों की भीड़ भले ही ना हो लेकिन श्रावक घरों में जप तप आराधना निरंतर जारी रखे हुए है। सिख समुदाय गुरुद्वारों की जगह घरों में ही वाहे गुरु की अरदास कर रहा है तो खुदा की इबादत भी नियमित रूप से नमाज के रूप में घरों में ही पढ़ी जा रही है। एेसे में आगामी दो माह में होने वाले लोक देवता बाबा रामदेव का अन्तर्राज्यीय मेला, गणेश चतुर्थी महोत्सव, भोगिशैल परिक्रमा, ईद-उल अजहा जैसे बड़े धार्मिक आयोजनों पर भी कोरोना संकट के बादल छाए हुए है। लेकिन उम्मीद है आस्था जीतेगी और कोरोना हारेगा क्योंकि ईश्वर दिलों में बसते हैं।

भोगिशैल परिक्रमा पर संकट के बादल
आस्था का महाअनुष्ठान भोगिशैल परिक्रमा इस बार अश्विन मास में 26 सितम्बर से शुरू होकर 2 अक्टूबर को है लेकिन कोरोना महामारी के कारण यह यात्रा पर कोरोना संक्रमण का साया मंडरा रहा है। सात दिवसीय आस्था के १०० किमी सफर में जोधपुर शहर सहित मारवाड़ अंचल से करीब ५० हजार से अधिक श्रद्धालु भाग लेते है।

बाबा रामदेव मेला भी नहीं हो सकेगा
लोक देवता बाबा रामदेव का प्राकट्य दिवस 20 अगस्त को और बाबा की दशमी (पुण्य समाधि दिवस ) 28 अगस्त को है। मसूरिया बाबा बालीनाथ मंदिर शीश नवाने करीब 20 लाख जातरू हर साल आते है और शीश नवाने के बाद ही जैसलमेर जिले के रामदेवरा मंदिर पहुंचकर दर्शन करते है।

बप्पा का विसर्जन जुलूस भी नहीं होगा
इस बार 22 अगस्त को गणेश चतुर्थी है और जोधपुर के विभिन्न क्षेत्रों में करीब 5000 से अधिक गणपति की प्रतिमाएं विराजित की जाती है और उन प्रतिमाओं को 1 सितंबर अनंत चतुर्दशी के दिन जुलूस के रूप में शहर के गुलाब सागर में विसर्जित जाना है।

Source: Jodhpur

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