सुरेश व्यास/जोधपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के भाई अग्रसेन की फर्म पर जिस खाद घोटाले में बुधवार को ईडी ने छापेमारी की है, वह मामला करीब 11 साल पहले गुजरात में सामने आया था। कस्टम विभाग की डायरेक्ट्रेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलीजेंस (डीआरआई) ने इस मामले में प्रतिबंधित उर्वरक मूरियट ऑफ पोटाश (एमओपी) के अवैध रूप से निर्यात का मामला बनाते हुए अग्रसेन पर 5.45 करोड़ रुपए का जुर्माना भी लगाया था। इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग की आशंका पर ईडी ने भी करीब दो साल पहले जांच शुरू कर दी थी और अब इस मामले में अग्रसेन व अन्य लोगों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत कार्रवाई की तैयारी में है।
अग्रसेन व अन्य के ठिकानों पर बुधवार को तीन टीमों ने संयुक्त निदेशक सुमित यादव के नेतृत्व में कार्रवाई की है। इस दौरान कई अहम दस्तावेज हाथ लगे हैं, लेकिन इस बारे में देर रात तक कार्रवाई में जुटे अधिकारियों ने चुप्पी साध रखी है। मामले के तार कोलकाता, सिरोही व जोधपुर के फलोदी कस्बे से जुड़े होने की बात भी सामने आ रही है। यहां की फर्मों का इस्तेमाल फर्जी बिल बनाने और एमओपी को फैल्सपार पाउडर और इंडस्ट्रियल सॉल्ट बताकर सिंगापुर, मलेशिया व ताइवान आदि देशों को निर्यात करने में किया गया। वहां एमओपी का इस्तेमाल नॉन यूरिया फर्टिलाइजर बनाने में किया जाता है।
ईडी सूत्रों के अनुसार कांडला पोर्ट के कस्टम कमिश्नर ने 2013-14 में निर्यात का संदेह होने पर तहकीकात की थी। इसमें सबसे पहले निर्यातक फर्म दिनेशचंद्र अग्रवाल का नाम सामने आया था। उसके बयानों के आधार पर ही एजेंसियां मामले की तह तक पहुंची। मामले में अग्रसेन पर शक की सुई उसी वक्त घूम गई थी। अग्रसेन की फर्म किसानों के लिए एमओपी आयात करने वाली गुजरात की कम्पनी इंडिया पोटाश लिमिटेड के डिस्ट्रीब्यूटर थे। उन्हें कम्पनी से एमओपी मंगवा कर सीधे किसानों को ही बेचना था। लगभग दो साल तक चली जांच में अग्रसेन के बयान भी हुए। उन्होंने मामले में संलिप्तता से इनकार किया, लेकिन जांच के बाद उनकी फर्म अनुपम कृषि पर 5.45 करोड़ का जुर्माना लगाया गया। इस मामले में ईडी ने 2017-18 में फाइलें मंगवा कर खंगालनी शुरू कर दी। इस दौरान मनी लॉन्ड्रिंग का मामला बनता देख अब कार्रवाई शुरू की गई है।
कमाया भारी मुनाफा
सूत्रों के अनुसार एमओपी किसानों को सस्ती दर पर मिलती है। इसके निर्यात पर कस्टम व एक्साइज ड्यूटी नहीं लगती। आईपीएल आयात करके डीलर्स के जरिए किसानों तक यह उर्वरक पहुंचाती है। आरोपी फर्मों ने बिचौलिए के जरिए सब्सिडी पर मिलने वाली एमओपी अहमदाबाद की एक फर्म के जरिए निर्यात कर भारी मुनाफा कमाया है। इसमें सामने आए कथित निर्यातक का बयान ही ईडी कार्रवाई का आधार बना है। इसमें कहा गया था कि उसकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। उसने सिर्फ मासिक भुगतान के बदले फर्म का एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट कोड हासिल किया था।
ट्रिब्यूनल में विचाराधीन है मामला
अग्रसेन व अन्य फर्मों ने कस्टम कमिश्नर के आदेश को अहमदाबाद स्थित कस्टम, एक्साइज एंड सर्विस टैक्स एपीलांट ट्रिब्यूनल की वेस्ट जोन बैंच में चुनौती दी। टिब्यूनल ने स्टे तो नहीं दिया, लेकिन जुर्माने की राशि कुछ कम कर दी। यह मामला अब भी ट्रिब्यूनल में विचाराधीन बताया जा रहा है।
Source: Jodhpur