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बाड़मेर. कभी कहर बरपा चुका मलेरिया अब बाड़मेर में काबू में आ चुका है। सरकारी आंकड़े तो यही बयां कर रहे हैं कि इस साल के सात महीनों में अब तक एक भी मलेरिया केस नहीं मिला है। जबकि विभाग करीब 47 हजार लोगों की जांच कर चुका है। लेकिन रोगी नहीं मिला।
बाड़मेर में हर साल मलेरिया के रोगी मिलते रहे हैं। इसके लिए विभाग की ओर से गतिविधियां भी संचालित की जाती है। लेकिन इस साल एक भी मलेरिया केस नहीं मिलना आश्चर्य का विषय भी है। जबकि पड़ोसी जिला जैसलमेर में इस साल में अब तक 23 मलेरिया रोगी मिल चुके हैं।
46 हजार से अधिक नमूनों की जांच
चिकित्सा विभाग साल 2020 में 11 जुलाई तक 46747 नमूनों की जांच कर चुका है। लेकिन एक भी रोगी में मलेरिया नहीं मिला। जबकि साल 2019 में कुल 19 मरीज मलेरिया के मिले थे। इसमें भी मलेरिया पीएफ का कोई रोगी नहीं था।
प्रत्येक महीने में 6 हजार से अधिक की जांच
आंकड़ों को देखें तो जिले में प्रत्येक महीने करीब 6678 लोगों की मलेरिया जांच हुई है। यहं जांच शहर सहित ग्रामीण क्षेत्रों तक में होती है। लेकिन कहीं भी एक भी रोगी नहीं मिला।
डेंगू के मिल चुके हैं 23 केस
मलेरिया भले ही काबू हो चुका हो, लेकिन डेंगू अब डंक मारने लगा है। इस साल 23 केस मिले हैं। जिसमें पांच केस जुलाई महीने में ही सामने आए हैं। बरसात का सीजन शुरू हो चुका है और विभाग को डेंगू का डर सताने लगा है।
उदयपुर के बाद सबसे ज्यादा मलेरिया जैसलमेर में
पूरे प्रदेश में इस साल में अब तक उदयपुर में 67 मलेरिया रोगी मिल चुके हैं। वहीं इसके बाद जैसलमेर में 23 रोगी सामने आए हैं। पूरे प्रदेश के आंकड़ों को देखा जाए तो 11 जुलाई तक 176 मरीजों में मलेरिया मिला है। इनमें भी केवल 40 में मलेरिया पीएफ के लक्षण सामने आए हैं।
जानलेवा साबित हो चुका है मलेरिया
साल 1990 से लगातार मलेरिया थार में मलेरिया का भारी प्रकोप रहा है। साल 1992 से 95 तक तो मलेरिया भारी रूप से जानलेवा साबित भी हुआ था। अब बाड़मेर में मलेरिया नियंत्रण में आने लगा है। लेकिन जैसलमेर के नहरी क्षेत्र में अब भी मलेरिया के रोगी लगातार सामने आ रहे हैं।

Source: Barmer News

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