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जेके भाटी/जोधपुर. जिसमें पहाड़ के सीने को चीर कर रास्ता बनाने का जज्बा हो, दुनिया उसी जज्बे को सलाम करती हैं। बुलंद हौसले से अपने सपने को साकार करने एेसी ही एक शिक्षिका घर से निकल पड़ी हैं। जोधपुर की कांता परिहार बाडमेर जिले के आदमपुरा ग्राम पंचायत की दलाराम मेघवाल की ढ़ाणी स्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय में एकल शिक्षिका लगी हुई हैं। डेढ वर्ष पहले उनकी पहली पोस्टिंग यहां हुई थी। धोरों के बीच आयी इस स्कूल में जब ज्वाइनिंग के लिए वे यहां पहुंची तो स्कूल भवन को देख घबरा गई थी। लेकिन हिम्मत नहीं हारी और कुछ कर गुजरने के जज्बे से स्कूल भवन का सबसे पहले रूप निखारा। उन्होंने अपने भाई-बहन व परिवारजन के सहयोग से स्कूल भवन का रंगरोगन करवाकर उसका सौंन्दर्य निखारा।

नामांकन बढ़ाना उद्देश्य
कांता ने बताया कि स्कूल ढ़ाणी में होने से यहां बच्चें नही आ पाते। बच्चों को स्कूल तक लाने के लिए स्कूल भवन को निखारा गया। स्कूल की सबसे बड़ी समस्या मार्ग हैं, जो केवल पगडड़ी से बना हुआ है। गांव से ढ़ाणी तक आने के लिए डेढ़ किलोमीटर का रास्ता है, जो कच्चा होने से बच्चों को स्कूल पहुंचने में समस्या होती हैं। एेसे में बारिश के दिनों में इस रास्ते में कीचड जमा हो जाता हैं। अभिभावक इसी वजह से बच्चों को स्कूल नहीं भेजते। लेकिन मैं नामांकन बढ़ाने के लिए पूरा प्रयास कर रही हूं। नामांकन बढ़ाने के लिए मैं स्कूल के पास ही ढ़ाणी में रह रही हूं। जिससें आस-पास की ढ़ाणियों में स्कूल समय के बाद जाकर बच्चों को स्कूल भेजने के लिए प्रेरित कर सकूं। अभी ३१ का नामांकन है, इसे ओर बढ़ाना ही मेरा उद्देश्य है।

सपना हो रहा साकार
कांता ने बताया कि दसवीं कक्षा पास करने पर वर्ष 2001 में शादी हो गई। उसके बाद पांच साल तो पढ़ाई ही छुट गई। रात को सपने में एेसी ही ढ़ाणी की स्कूल में पढ़ाती नजर आती। फिर मैने वापस पढ़ाई शुरू की और बीएएसटीसी कर अभी डेढ़ साल पहले नौकरी ज्वाइन कर ली। जब यहां आयी तो एक बार तो डर सी गई। लेकिन फिर सोचा यह तो वो ही स्कूल है जो मुझे सपने में दिखता था। इसलिए इस स्कूल को निखारने की ठानी और यहीं रहकर इसका रूप निखारने लगी। अब स्कूल मार्ग को बनाने का सपना है, जो सरकार व ग्रामीणों की मदद से पूरा हो जाएगा।

स्कूल में करवाए ये काम
कांता ने स्कूल भवन व कक्षाओं में रंगरोगन करवा कर दिव्यांग बच्चों के लिए रैम्प के दोनों ओर रैलिंग लगवाई। स्कूल परिसर में पौधे लगाकर उनके ऊपर ट्रीगार्ड लगवाए। छोटे बच्चों के लिए दो झूले स्कूल परिसर में लगवाए। कक्षा कक्ष में पंखा, ग्रीन बोर्ड व स्कूल परिसर में हैंडपम्प भी लगवाया। इसी तरह स्कूल के मुख्य गेट पर स्कूल के नाम का बोर्ड भी लगाया गया। कांता ने बताया कि ये सभी कार्य भामाशाह ओमप्रकाश परिहार, परिवारजन व ग्रामीणों के सहयोग से किया गया हैं।

Source: Jodhpur

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