सुरेश व्यास/जोधपुर. जोधपुर में कोरोना का क्रूरतम चेहरा अब डराने लगा है। लगभग बीस हजार संक्रमित। ढाई सौ के करीब मौतें। संक्रमण के साथ-साथ बढ़ती मृत्यु दर और ऊपर से चिकित्सकीय बेपरवाही से सरकारी अस्पतालों से उठता आमजन का विश्वास। शासन-प्रशासन भी बेपरवाह और आमजन भी अनलॉक में पूरी तरह आजाद। न मास्क की परवाह और न ही सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान। सभी जो होगा, देखा जाएगा की तर्ज पर दौड़ पड़े हैं। इधर कोरोना संक्रमण रोजाना नए कीर्तिमान बनाते हुए जानलेवा साबित होता जा रहा है।
शासन-प्रशासन इस खुशफहमी में है कि अकेले जोधपुर या प्रदेश के अन्य हिस्सों में ही कोरोना नहीं फैल रहा, यह देश- दुनिया में भी तो इतनी ही तेजी से फैल रहा है। दावे किए जा रहे हैं कि कोरोना से निपटने की व्यवस्थाएं चाकचौबंद है, लेकिन इन दावों को झुठलाती हकीकत बयां कर रही है कि अब तो संक्रमण का कोई ओर-छोर ही नजर नहीं आ रहा। आप अंदाज लगा लीजिए कि जिस जोधपुर में पहला मरीज २२ मार्च को सामने आया और संक्रमितों की संख्या पहले ५ हजार पहुंचने में चार महीने से ज्यादा लगे, वही कोरोना अब तो मात्र पंद्रह दिनों में ही पांच हजार से ज्यादा लोगों को चपेट में ले चुका है। पिछले ५९ दिनों में ही १५ हजार नए संक्रमितों का सामने आना जाहिर करता है कि कहीं न कहीं तो चूक रही है कि हम कोरोना को बांधकर नहीं रख सके और यह अब तांडव मचाने की स्थिति में आ गया है।
आज भी यदि आंकड़ों की बात करेंगे तो भले ही जोधपुर संक्रमण और मृत्यु दर के मामलों में खुद को बेहतर कह सकता है, लेकिन हमारे बाद में अलवर में संक्रमण फैलना शुरू हुआ और इस छोटे से जिले ने जिस गति से कोरोना को काबू किया, क्या वह कम है। आंकड़ों की बात कर लें तो जोधपुर में भी रोजाना लिए जाने वाले नमूनों के हिसाब से एक महीना पहले तक संक्रमण की दर दो से तीन प्रतिशत थी, वह आज बीस प्रतिशत को पार कर रही है। मृत्यु दर भी दो प्रतिशत से ज्यादा का आंकड़ा छू रही है।
एक तरफ कोरोना पैर पसार रहा है और दूसरी तरफ शासन-प्रशासन आंकड़े छिपाकर इसकी भयावहता को कम दर्शाने के प्रयास में है। जब से रोजाना तीन सौ या ज्यादा संक्रमित आने लगे, स्थानीय स्तर पर जारी की जाने वाली रिपोर्ट पर ही रोक लगा दी गई। अब राज्य स्तरीय रिपोर्ट ही बताती है कि कितना संक्रमण फैला, लेकिन पिछले दस दिन में स्टेट की रिपोर्ट में जितने संक्रमित जोधपुर में बताए गए हैं, उससे दोगुने से ज्यादा संक्रमित आ चुके हैं। पिछले १० दिनों में ६९ मौतें हुई है, रिपोर्ट में १७ का ही हवाला है।
जिम्मेदार कहते हैं कि लोगों में पैनिक न फैले इसलिए स्थानीय स्तर पर रिपोर्ट जारी नहीं कर रहे, लेकिन बिल्ली को सामने देखकर कबूतर आंखें भले ही बंद कर लेता हो, अपनी जान तो बिना प्रयास के नहीं बचा सकता। आप ये क्यों भूल जाते हैं कि स्थानीय रिपोर्ट न आने से लोगों को यह भी पता नहीं चल पा रहा कि उसके पड़ोस में भी कोई संक्रमित हो चुका है।
बेहतर हो कि हकीकत पर पर्दा डालने की बजाय लोगों को जागरुक करने के साथ व्यवस्थाओं को सुदृढ़ किया जाए। मरीजों को बेहतर इलाज मिले और कोरोना कैसे रुके, इसके लिए समन्वित प्रयास हो, वरना आंकड़ों की बाजीगरी और दावे केवल अंधेरे में ही रखेंगे। कोरोना कंट्रोल में बेपरवाही कहीं भी हो, अब रुकनी चाहिए।
Source: Jodhpur