जोधपुर. जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय स्थित पुराना परिसर में शनिवार सुबह की पारी में परीक्षा दे रहे बीकॉम अंतिम वर्ष के छात्र आयुष सोनी की तबीयत बिगड़ गई। परीक्षा सुबह ९ बजे शुरू हुई और दस मिनट बाद ही आयुष की सांसें उखडऩे लग गई। उसकी जबान मोटी हो गई और एक तरफ लटकने लगी। परीक्षा कक्ष में ड्यूटी दे रहे शिक्षक दूर हट गए। उसकी बेहोशी जैसी हालत हो गई। आयुष जैसे-तैसे परीक्षा कक्ष से बाहर आकर पेड़ के नीचे बैठा। उसकी तबीयत लगातार खराब होती जा रही थी। उसने शिक्षकों और कर्मचारियों को कई बार अस्पताल तक पहुंचाने की अपील की लेकिन कोरोना के डर से कोई भी शिक्षक उसके पास आने तक तैयार नहीं था।
कोई भी शिक्षक अपनी कार से उसे अस्पताल पहुंचाने के लिए तैयार नहीं हुआ, जबकि वहां कई कारें खड़ी थी। हर कोई एम्बुलेंस आने तक आयुष को इंतजार करने के लिए कह रहा था। किसी ने उसे पानी पिलाया लेकिन उसे तो ऑक्सीजन की जरुरत थी। शिक्षकों ने विवि के चिकित्सक डॉ बी देराश्री को फोन लगाया लेकिन वे भी समय पर नहीं पहुंचे। वहां ड्यूटी दे रहे शिक्षक कुलपति प्रो पीसी त्रिवेदी, छात्र नेताओं, परीक्षा नियंत्रक सहित कई वरिष्ठ लोगों को फोन मिलाकर छात्र की स्थिति बताते रहे, लेकिन कोई आयुष को कार से अस्पताल ले जाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था। ओल्ड कैंपस का एक यूडीसी और एक शिक्षक जिनके पास स्कूटर था, वे आगे आए लेकिन छात्र की तबीयत इतनी खराब थी कि स्कूटर पर बैठा नहीं जा रहा था।
पौने दस बजे एम्बुेंस 108 पहुंची
करीब पौने दस बजे एम्बुलेंस 108 पहुंची। उसमें छात्र को बैठाया गया लेकिन उसमें ऑक्सीजन ही नहीं थी। न सोने के लिए स्ट्रक्चर था। छात्र बैठे-बैठे ही बगैर ऑक्सीजन के महात्मा गांधी अस्पताल की इमरजेंसी पहुंचा, जहां डॉक्टरों ने उसको तुरंत ऑक्सीजन पर लेकर प्राथमिक दवाइयां दी। आयुष के शरीर में ऑक्सीजन जाने के १५ मिनट बाद ही वह सामान्य हो गया। उसका कोरोना जांच के लिए सैंपल लिया गया है और कोरोना रिपोर्ट आने के बाद ही उसे छुट्टी दी जाएगी।
इधर भागते आ रहे परिजनों का पुलिस ने चालान काटा
विवि के शिक्षकों ने आयुष के घर भी सूचना दी थी। लाल सागर निवासी उसके मामा ललित सोनी अपने छोटे भाई के साथ ओल्ड कैंपस के लिए रवाना हुए। एम्बुलेंस से किसी अस्पताल ले जाने की सूचना पर वे एमडीएम अस्पताल की ओर मुड़े। रेजिडेंसी रोड के आगे जेएनवीयू मुख्य कार्यालय सर्किल के पास पुलिस ने तेज स्पीड से गाड़ी चलाने पर रोका। दोनों ने विवि में बात कराई लेकिन वे नहीं माने और सीट बेल्ट लगा होने के बावजूद सीट बेल्ट नहीं लगाने का चालान काट दिया। पुलिस वाले लॉकडाउन का कहकर उनको चेतावनी भी देने लग गए। ललित का कहना है कि पुलिस तो इमरजेंसी सर्विस भी नहीं समझ रही है। बगैर मतलब चालान काट दिया।
Source: Jodhpur