बाड़मेर.सोलहवीं लोकसभा के चुनाव परिणाम की तारीख १६ मई २०१४ की वह शाम पत्रिका टीम को आज भी याद है। जसवंत लोकसभा चुनाव हार चुके थे और उनसे प्रतिक्रिया लेनी थी। मन में ऊहापोह था कि क्या जसंवतसिंह बात करेंगे। बात करेंगे तो हार को लेकर सवाल कैसे पूछ पाएंगे, लेकिन जब उनके पास टीम पहुंची तो वे हार के बावजूद बुलंद हौसले से ओतप्रोत मिले। हार का गम उनके चेहरे पर थोड़ा नजर आ रहा था लेकिन मुस्कान बता रही थी कि उन्होंने हौसला नहीं खोया है।
लोकसभा के चुनाव को लेकर काफी दिनों की भागमभाग और एक तरफ भाजपा की पूरी टीम तो दूसरी ओर जसवंत अकेले। सभी को लग रहा था कि जसवंतङ्क्षसह ही चुनाव जीतेंगे। परिणाम आया तो जसवंत करीब ८५ हजार वोटों से चुनाव हार गए थे।
उनके बातचीत करनी थी लेकिन संकोच था कि क्या जसवंतङ्क्षसह समय दे पाएंगे। भाजपा नेता राजेन्द्रसिंह भींयाड़ से बात कर पत्रिका की टीम आने की सूचना उनको दी। उन्होंने एक घंटे बाद मिलने का कहा फिर हमारी टीम वापिस रवाना हो गई। करीब पचपन मिनट बाद फोन आया कि दाता ने बातचीत के लिए बुलाया है। होटल में पत्रिका टीम पहुंची तो वे अपने समर्थकों के साथ बैठे थे। चेहरे पर थोड़ा तनाव तो था लेकिन हौसला बुलंद नजर आया। उनके सवाल पूछा कि हार की उम्मीद थी तो जवाब में हमसे से ही पूछ लिया क्या आपको उम्मीद थी कि मैं चुनाव हार जाऊंगा। फिर हल्का मुस्कराहट के सथ बोले- हार की उम्मीद किसी को नहीं थी, लेकिन बाड़मेर-जैसलमेर की जनता का फैसला मंजूर है। साथ ही कहा कि यह कोई हार नहीं है, क्योंकि चार लाख लोग तो मेरे साथ ही है। इतने लोगों का साथ मिल गया तो हार का क्या गम। चंद वोटों का फासला रह गया। जनता का दिल से शुक्रिया। उनसे भाजपा में जाने की बात पूछी तो सीधा जवाब दिया कि अब तो रास्ता अलग चुन लिया।
इसके बाद उन्होंने अभिनंदन करते हुए हाथ जोड़े तो पत्रिका टीम ने विदाई ली।
पूरे देश पर थी नजर- जसवंतसिंह के चुनाव मैदान में उतरते ही पूरे देश की मीडिया, राजनेताओं की नजर बाड़मेर के चुनाव परिणाम पर थी। स्थिति यह थी कि प्रदेश के अन्य जिलों से भी फोन पर यही सवाल पूछा जाता कि क्या जसवंत चुनाव जीत जाएंगे।
मारवाड़ी में बातचीत- जसवंतसिंह को उनके समर्थकों ने बाड़मेर टीम का परिचय देते हुए कहा कि ये यहीं के है
तो उन्होंने पूरी बातचीत मारवाड़ी में ही की।
Source: Barmer News