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जोधपुर. गांवों की सरकार चुनने के लिए पहला चरण पूरा हो चुका है। लेकिन इस प्रक्रिया के दौरान विस्फोटक स्थिति सामने आई। पोलिंग पार्टियां जब पॉलिटेक्निक कॉलेज चुनावी सामग्री व ईवीएम जमा करवाने पहुंची तो सोशल डिस्टेंसिंग की जमकर धज्जियां उड़ाई गई। काउंटर पर लापरवाही करने वाले कोई और नहीं सरकारी कर्मचारी ही थे। जिनके ऊपर ही पालना करवाने की सबसे ज्यादा जिम्मेदारी है। पहले चरण में गांवों में चुनावों की सोशल डिस्टेंसिंग तो देख ही चुके हैं। दूसरी ओर अब जोधपुर नगर निगम के चुनावों की संभावना भी अगले माह सामने आएगी।

पहले भी सामने आ चुके दो पॉजिटिव कार्मिक
पंचायत चुनावों में ग्रामीण क्षेत्र में दो पॉजिटिव कर्मचारियों की ड्यूटी की बात पहले ही सामने आ चुकी है। फिलहाल ९७ ग्राम पंचायतों का पहला चरण समाप्त हुआ है। अभी तीन चरण में ग्राम पंचायतों के चुनाव होने हैं। एेसे में न चाहते हुए भी संक्रमण की चेन को कितना मजबूत करेंगे यह कहना मुश्किल है।

निकाय चुनाव : पहले परिसीमन फिर कोरोना के फेर में
जोधपुर, जयपुर और कोटा में नए नगर निगम बनने के बाद से निकाय चुनाव अटके हुए हैं। २०१९ में जोधपुर में ६५ वार्ड से बढ़ाकर १०० वार्ड किए गए। एेसे में नक्शे बने और प्रत्याशियों ने भी अपने स्तर पर तैयारी पूरी कर ली। बाद में परिसीमन फिर हुआ इस बार शहर को दो भागों में बांट दिया। नगर निगम उत्तर और दक्षिण दोनों को ८०-८० वार्ड में विभाजित किया गया। इसी की चुनावी प्रक्रिया शुरू किए। सीमांकन हुआ और कोरोन प्रकोप बढ़ गया। एेसे में फिर चुनाव स्थगित कर दिए। मई-जून में एक बार फिर निकाय चुनाव की उम्मीद बढ़ी लेकिन तब भी कोरोना के कारण तिथि आगे बढ़ा दी गई। अब सरकार ३१ अक्टूबर तक चुनाव करवाना चाहती थी। लेकिन न्यायालय ने अगले माह ही तीनों शहरों के ६ निकायों में चुनाव करवाने के आदेश दे दिए हैं।

तीनों शहरों में स्थिति विस्फोटक
जयपुर और जोधपुर में तो पहले ही संक्रमितों की संख्या बढ़ रही है। कोटा में भी स्थिति संतोषजनक हीं है। एक ओर धारा १४४ लगी हुई है और लॉकडाउन की बात की जा रही है। एेसे में निकायों में सावधानी और गाइड लाइन की पालना प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती होगा।

Source: Jodhpur

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