नौसर (जोधपुर). सोनामुखी की खेती में तमिलनाडु और गुजरात के बाद राजस्थान भी पीछे नहीं है। विदेशों में बढ़ रही मांग के चलते दो साल से अच्छे बाजार भाव को देखते हुए इस बार इस फसल की पुश्तैनी खेती करने वाले किसानों ने काफी अधिक इलाकें में फसल बोई। लेकिन इन दिनों में इस फसल पर कीटों के प्रकोप से पकने वाली फसल सूखती जा रही है।
क्षेत्र के नौसर, बैंदो का बेरा, हरलायां, भीमसागर, सामराऊ और पल्ली आदि कई गांवों में किसान सोनामुखी की खेती करते हैं। जिन्हें किसी प्रकार के कीटनाशक छिड़काव, पोषक तत्वों आदि के बारे में जानकारी नहीं मिलने से वे नुकसान में रहते हैं।
छोटे किसानों का सहारा
यह फसल खारे पानी क्षेत्र में बहुतायत से बोई जाती है। जहां पानी मीठा है वहां जो लघु व सीमांत तबके के किसान होते हैं। वे नलकूप खुदवाने की असमर्थता के कारण इस फसल की खेती करते हैं। जो एक बार बोने के बाद तीन सीजन तक फसल उपज देती है। ऐसे किसानों की फसल यदि चौपट हो जाती है तो उनकी सालों की मेहनत बेकार हो जाती है। साथ ही इस फसल के तीन भाग डंठल, पत्तियां व बीज अलग-अलग बाजार भाव से बिकते हैं।
ये बड़ी मांगें
फलोदी क्षेत्र के सोनामुखी उद्यमी कन्हैयालाल राणेजा ने बताया कि इस साल की सत्तर प्रतिशत सोनामुखी फसल को लट ने नष्ट कर दिया है। किसानों के लिए सरकार कृषि मंडी कर व जीएसटी लगा रही है लेकिन इस फसल के लिए कोई राहत प्रदान नहीं की गई। सर्दी, बेमौसम बारिश व पाला पडऩे के सीजन में इस फसल को सबसे अधिक नुकसान होता है। लेकिन सरकार की ओर से कभी भी मुआवजा या खराबे का क्लेम नहीं देना किसानों के साथ धोखा है। किसानों को केसीसी, सब्सिडी आदि योजनाओं से कभी लाभान्वित नहीं किया गया। इस साल शुद्ध गुणवत्ता की सोनामुखी का 25 से 30 रुपए प्रति किलोग्राम बाजार भाव चल रहा है लेकिन फसल बर्बाद हो गई। स्थानीय व्यापारी व किसान ओमप्रकाश पंचारिया व रामेश्वरलाल सोनी ने किसानों को मुआवजा देने की मांग की है।
किसानों को दिया जा रहा प्रशिक्षणसोनामुखी व इसबगोल प्रोजेक्ट पर काम रही आफरी की वैज्ञानिक डॉ. संगीता सिंह ने बताया कि जैविक खाद उपयोग कर सोनामुखी का उत्पादन बढ़ाया जा सकता है। जिले के संबंधित सभी बीडीओ को पत्र लिखकर बताया गया है कि सोनामुखी व इसबगोल पर संबंधित क्षेत्र के किसानों को प्रशिक्षण दिलाया जाएगा। कोविड-19 के चलते बीडीओ से प्राप्त जानकारी के अनुसार किसानों को प्रशिक्षण देंगे। शुरुआत में फलोदी व तिंवरी ब्लॉक में प्रशिक्षण दिलाया जाएगा।
कीटनाशक दवा का प्रयोग करें
लट के प्रहार से बचने के लिए कॉरबेरिल चार ग्राम प्रति लीटर पानी में तथा एंडोड्युलफान पांच सौ एमजी प्रति लीटर पानी के साथ छिड़काव करें।
– डॉ. संगीता सिंह, वैज्ञानिक आफरी, जोधपुर।
Source: Jodhpur