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पीपाड़सिटी (जोधपुर). पंचायतीराज में कई वर्षों से सरपंच पति का पद चर्चित रहा। लेकिन पंचायत चुनाव की नई व्यवस्था में अब प्रत्याशी पति ग्रामीणों की जुबान पर चढ़ गया। महिला आरक्षित सरपंच पद के चुनाव के बाद विजेता का प्रत्याशी पति शपथ के साथ ही सरपंच पति के रूप में सामने होगा।

पंचायत समिति क्षेत्र में ग्राम पंचायतों के सरपंचों के 18 पद महिलाओं के लिए आरक्षित हैं, जिनमें सामान्य महिला,ओबीसी महिला और एससी महिला वर्ग के लिए आरक्षित हैं। इनमें शेखनगर पंचायत एससी के लिए आरक्षित थी, लेकिन ग्रामीणों ने सरपंच पद पर महिला को निर्विरोध चुन लिया। इस प्रकार कुल पैंतीस पंचायतों में से महिलाओं के कब्जे की अठारह पंचायतें हो जाएगी। इस कारण चुनावी जनसंपर्क अभियान में अब प्रत्याशी पति, पुत्र, ससुर, जेठ जैसे शब्द आम बोलचाल में सुनाई देने लगे हैं।

जनसंपर्क अभियान में पुरुषों का दबदबा

क्षेत्र की महिला आरक्षित पंचायतों में अधिकांश में चुनावी अभियान प्रत्याशियों के बजाय उनके पति सहित निकट पुरुष परिजनों के हाथों में है। क्षेत्र में नानण से किरण टाक और खारिया खंगार से प्रमिला चौधरी ही अपने चुनावी अभियान को लीड कर रही हैं। अन्य पंचायतों में कई उम्र दराज बुजुर्ग महिलाओं को चुनावी दंगल में उतार देने से उनके पुत्र ही मतदाताओं के समक्ष खुद को बतौर सरपंच प्रत्याशी के रूप में पेश कर रहे हैं,महिला सशक्तिकरण के लिए पंचायत राज में आधी आबादी के आरक्षण के बावजूद चुनाव की कमान पुरुषों के हाथों में हैं।

घरलू कामों में उलझी प्रत्याशी
प्रत्याशी पतियों के चुनावी अभियान को लीड करने की प्रवृत्ति के कारण अधिकांश महिला प्रत्याशी घर के कामों में ही उलझी हुई हैं। सोशल मीडिया पर तो ये हालत है कि ग्रामीणों ने महिला को सरपंच चुना लेकिन बधाई बतौर सरपंच पति, पुत्र और ससुर ही स्वीकार कर रहे हैं, वहीं महिला आरक्षित पंचायतों में अधिकांश प्रत्याशी सरपंच के रूप में वोट देने की अपनी फोटो सहित अपील भी जारी कर रहे हैं। शिक्षा की अनिवार्यता खत्म करने के बाद अधिकतर अशिक्षित महिला प्रत्याशी एक-दो बार ही जनसंपर्क कर सकी हैं।

पुरुषों का भाग्य दांव पर

पंचायत समिति क्षेत्र में कहने को सरपंच की महिला सीट हैं, लेकिन यहां भाग्य पुरुषों का दांव पर लगा है। रियां में पूर्व उप प्रधान डूंगरराम व पूर्व सरपंच गोरधनराम चौधरी,कोसाणा में पूर्व सरपंच रघुवीर सिंह, खवासपुरा में पूर्व सरपंच रामनिवास जाखड़ व पेमाराम बोराणा,बोरुंदा में हनुमान सिंह व बुचकलां में पूर्व सरपंच दिनेश माली का भविष्य दांव पर लगा है। इन सीटों पर महिलाओं की जीत उनके पति,पुत्र के राजनीतिक भविष्य को भी दिशा देगी। ऐसे में प्रत्याशी पति,पुत्र,ससुर दिन-रात एक कर चुनावी दंगल में शाम,दाम,दंड, भेद की नीति अपनाकर हर हाल में जीत दर्ज करना चाह रहे हैं।

इनका कहना है
पंचायत राज में महिला आरक्षित सीटों पर चुनावी व जनसंपर्क अभियान में महिला प्रत्याशियों को स्वतंत्र रूप से कार्य करने की छूट देने से उनमें नेतृत्व क्षमता के साथ आत्मबल का विकास हो सकेगा।

चिदम्बरा परमार, राजस्थान विकास सेवा अधिकारी, जोधपुर।

राज्य में पंचायत राज में अनेक महिला सरपंचों ने अपने बूते स्वतंत्र रूप से कार्य कर विकास के साथ महिला सशक्तिकरण को नई दिशा दी हैं।

-संगीता बेनीवाल, अध्यक्ष, राजस्थान बाल अधिकार संरक्षण आयोग,जयपुर।

फैक्ट फाइल

पीपाड़सिटी ब्लॉक महिला आरक्षित।
ग्राम पंचायतें-17

महिला सरपंच प्रत्याशी-73
एससी महिला में- पालड़ी सिद्धा, खारिया आनावास, सोवणिया,

ओबीसी महिला में सियारा, सिंधीपुरा, मलार

सामान्य श्रेणी में महिलाओं के लिए

खारियाखंगार, कोसाणा, चिरढाणी, नानण, रियां सेठों की, खवासपुरा, रामड़ावास कलां, बोरुंदा, बुचकलां, बाड़ा कलां, सालवा खुर्द।

Source: Jodhpur

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