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बाड़मेर. कोरोना महामारी का दंश झेल रहे लोग स्वस्थ होने के बाद दूसरी ऐसी बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं, जिससे परिजनों की चिंता बढ़ती जा रही है। संक्रमण को तो मात देकर स्वस्थ हो गए, लेकिन कोरोना के कारण स्वभाव में चिड़चिड़ापन और बैचेनी के बाद अवसाद के लक्षण उभर रहे हैं। ऐसे मरीजों के परिजन उन्हें अब अवसाद से निजात दिलाने के लिए इलाज करवा रहे हैं।
कोरोना महामारी का असर कुछ लोगों इस तरह हावी हो रहा है कि उन्हें अन्य तरह की बीमारियां झकडऩे लगी है। कोरोना के संक्रमण से उबर चुके कई लोगों के स्वभाव में परिवर्तन आ गया है। अब कोरोना बीमारी को लेकर ज्यादा चिंतित हो जाते हैं। ऐसे मरीजों की बैचेनी और चिंता परिजनों के लिए बड़ी परेशानी बनती जा रही है।
सरकार ने पहले ही की थी तैयारी
महामारी की शुरूआत में ही सरकार ने पहले ही तैयारी कर ली थी कोविड मरीज अवसाद के शिकार हो सकते हैं। इसलिए कोविड सेंटर्स व अस्पताल में मनोरोग विशेषज्ञों की सेवाएं ली जाए और किसी में अवसाद के लक्षण मिलने पर उसकी काउंसलिंग करवाई जाए। जिससे व्यक्ति महामारी के कारण किसी तरह के भय और चिंता से मुक्त हो सके।
प्रारंभिक लक्षणों में करवाएं उपचार
विशेषज्ञों का मानना है कि किसी केस में अगर मरीज के स्वस्थ होने के बाद चिंता या अवसाद के लक्षण नजर आते हैं या फिर व्यवहार में परिवर्तन आ गया है तो उसे किसी विशेषज्ञ को तुरंत दिखाएं। जिससे समय रहते उसका उपचार हो सके। चिंता और व्यवहार परिवर्तन के लक्षण धीरे-धीरे बढऩे लगते हैं।
केस : 1 अब तो छूने से भी डरता है
जुलाई महीने में अनिल (परिवर्तित नाम) को कोरोना हुआ। उसका उपचार अस्पताल में करवाया गया। वह स्वस्थ होकर घर आ गया। बकौल परिजन उसके बाद से व्यवहार में परिवर्तन आ गया है। किसी भी वस्तु को छूने से भय जैसा हो गया है। हाथ लगाने से पहले पूछता है कि कहीं कोरोना तो नहीं हो जाएगा। कुछ दिनों तक उसे समझाया कि ऐसा नहीं होता है। लेकिन वह फिर से कोरोना संक्रमण होने को लेकर चिंताग्रस्त रहने लगा है।
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केस : 2 अकेले रहने की हो गई आदत
सुरेश (परिवर्तित नाम) संक्रमित हुआ तो उसका उपचार करवाया गया। वह स्वस्थ हो गया लेकिन अब उसकी आदत से घर के सभी लोग परेशान हो गए हैं। अब वह अकेले में ज्यादा रहने लगा है। परिजन बताते हैं कि वह पहले ऐसा नहीं था। अकेला रहना उसे पंसद ही नहीं था। वह सभी के साथ रहता था। महामारी से उबरने के बाद उसका यह व्यवहार परिजनों के लिए परेशानी बन गया है।
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बीमारी के भय से होती है बैचेनी
कोरोना से स्वस्थ होने के बाद कई मरीजों को फिर से बीमार होने या परिजनों के संक्रमित होने का भय बैठ जाता है। कई मरीज सुनी-सुनाई बातों पर यकीन कर लेते हैं। कुछ लोगों को दुबारा संक्रमित होने का भय ज्यादा होने लगता है। इससे बैचनी और घबराहट के लक्षण नजर आने लगते हैं। ऐसे में मरीज को विशेषज्ञ से जांच करवानी चाहिए।
डॉ. जीडी कूलवाल, वरिष्ठ आचार्य, मानसिक रोग विभाग मथुरादास माथुर अस्पताल जोधपुर

Source: Barmer News

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