पीपाड़सिटी (जोधपुर) पंचायत समिति क्षेत्र की 31 पंचायतों में गांवों की सरकार चुनने के लिए शहरों से वोट देने पहुंचे मतदाता। इसके चलते मतदान केंद्रों के बाहर लंबी लाइन भी लगी हैं, इसके साथ मतदान भी गति पकडऩे लगा हैं। दोपहर बाद 3 बजे तक 67.97 प्रतिशत मतदान हो चुका हैं। इसमें सर्वाधिक मतदान तिलबासनी में 83.07 प्रतिशत हुआ।
वही दूसरी ओर राज्यसभा के पूर्व सदस्य रामनारायण डूडी के पौत्र वीरेंद्र भी सरपंच पद का प्रत्याशी होने से डूडी के साथ पूर्व मंत्री कमसा मेघवाल भी मतदान केन्द्र के बाहर डेरा डाले हुए हैं। प्रतिष्ठा का सवाल बनी इस सीट को लेकर कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रशासनिक अधिकारी और पुलिस बल भी तैनात है।
पंचायत समिति क्षेत्र में एक लाख तैतीस हजार पांच सौ बत्तीस मतदाता हैं। इनमें चौसठ हज़ार तीन सौ नब्बे महिला मतदाता हैं। पंचायत चुनाव में पांच हजार तीन सौ तरेपन मतदाता प्रथम बार अपने मताधिकार का उपयोग कर पंच-सरपंच चुनेंगे।जो आज एक सौ इकतीस सरपंच प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करेंगें।
क्षेत्र में सरपंच पद की हॉटसीटों पर सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए गए हैं। इनमें रतकुडिय़ा, खारिया खंगार, खांगटा, बोरुंदा, कोसाणा, तिलवासनी, रियां, रामड़ावास, चिरढाणी, सिलारी पंचायतें प्रमुख हैं।
पूर्व सांसद डूडी व राज्यमंत्री ने डाला डेरा
रतकुडिय़ा में राज्यसभा के पूर्व सदस्य रामनारायण डूडी के पौत्र वीरेंद्र के चुनाव में उतरने से उनकी प्रतिष्ठा दांव पर हैं, गत चुनाव में वीरेंद्र को हार का सामना करना पड़ा था। इस बार डूडी के साथ पूर्व राज्यमंत्री कमसा मेघवाल भी मतदान केंद्र के बाहर डेरा जमाए हुए हैं। यहां कड़ा मुकाबला होने और राजनेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर लगने के कारण तनाव की स्थिति को देखते हुए एरिया मजिस्ट्रेट सुखराम पिंडेल रतकुडिय़ा में ही केम्प लगा कर बैठे हैं।
पुलिस का अतिरिक्त जाब्ता के साथ उपजिला मजिस्ट्रेट शैतानसिंह राजपुरोहित, पुलिस थानाधिकारी बाबूलाल राणा हर किसी पर नजर रखे हुए हैं। चार दिन पूर्व भी यहाँ दोनों पक्षों में किसी बात को लेकर विवाद होने से मामला पुलिस तक पहुंच गया। क्षेत्र के कोसाणा व तिलवासनी में लूणी विधायक महेंद्र विश्नोई के निकट परिजनों और ननिहाल के लोग चुनाव में भाग्य आजमा रहे हैं।
शहरों से गांव की ओर
गांवों की सरकार चुनने के लिए लोग जोधपुर व अन्य शहरों से गांवों की ओर जा रहे हैं, इनके लिए प्रत्याशियों ने विशेष वाहनों की व्यवस्था कर रखी हैं। गांवो के लोग सरकारी नोकरी, स्वरोजगार के साथ अन्य कार्यों से शहरों में निवास करते हैं, लेकिन सरपंच के चुनाव के लिए कही समाज,कही जाति तो कहीं परिवार की प्रतिष्ठा दांव पर होने के कारण वोटिंग के लिए लाए व पहुंचाए जाते हैं।बाद दोपहर ऐसे मतदाताओं के गांव आने से मतदान केंद्रों में लंबी लाइनें लग गई हैं, जिसमें सोशल डिस्टेंसिग की हवा निकलती दिख रही हैं।
Source: Jodhpur