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जोधपुर. कोरोना को हराकर ठीक हो चुके मरीजों को फाइब्रोसिस फेंफड़ों की कमजोरी और दूसरी शारीरिक समस्याओं का सामना तो करना पड़ ही रहा है, बड़ी संख्या में कोरोना रोगियों का मानसिक स्वास्थ्य भी गड़बड़ा रहा है। हालात यह है कि कोरोना से बचाव के जतन कर रहे कई शहरवासी ओब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर ओसीडी जैसे मेंटल-डिसआर्डर के शिकार हो रहे हैं। इनमें ऐसे लोग भी शामिल हैं, जिनको कोरोना तो नहीं हुआ, लेकिन वे सामान्य से मध्यम स्थिति की मानसिक समस्या से पहले से ग्रसित थे।

जानकारों की मानें तो कोरोना महामारी ने लोगों में भय, चिंता और तनाव का माहौल पैदा कर दिया है। इस बीमारी से बचाव के लिए लोगों की सामान्य जीवनचर्या में भी बड़े बदलाव आए हैं और इसका सीधा असर मानसिक स्वास्थ्य पर हो रहा है। जोधपुर में डॉ. सम्पूर्णानन्द मेडिकल कॉलेज के मनोरोग विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. जीडी कूलवाल के अनुसार कोरोना के चलते लोगों में एंग्जाइटी, अनिद्रा, अवसाद और और पोस्ट ट्रोमेटिक स्ट्रेस डिस्ऑर्डर पीटीएसडी जैसी समस्याएं देखने को मिल रही हैं।

अत्यधिक तनाव के कारण कई रोगियों में नींद ना आने की समस्या और हर समय बेचैनी महसूस करने की समस्या बढ़ गई है। डॉ. कूलवाल बताते हैं कि इस दौर में खुद को मानसिक रूप से मजबूत बनाए रखना ही सबसे बड़ी चुनौती है। मानसिक स्वास्थ्य को ठीक रखने के लिए कोरोना गाइडलाइन्स की अनदेखी तो नहीं की जा सकती, लेकिन आवश्यक है कि अपने आसपास सकारात्मक माहौल बनाए रखें। इसके लिए मनोरंजन के इनडोर साधनों का उपयोग किया जा सकता हैं।

Source: Jodhpur

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