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भवानीसिंह राठौड़

बाड़मेर. सरकारी काम में सिर्फ आम आदमी को ही चक्कर नहीं कटवाए जाते कई बार महत्वपूर्ण फाइलों को भी इतना घुमाया जाता है कि थक-हार जाती हैं। बाड़मेर में राष्ट्रीय राजमार्ग 68 को 28 किमी घुमाने की फाइल दस साल तक घूम-घूमकर इतनी घनचक्कर हुई कि 160 करोड़ का टेण्डर निरस्त हो गया।

अब भी पेच यह है कि गैर मुमकिन आगोर की जमीन आ गई है और इसकी अवाप्ति के लिए न्यायालय का द्वार खटखटाना होगा। अधिकारी निजी जमीन अवाप्त करने के दस साल बाद इस प्रक्रिया को सामने ला रहे हैं।

लिग्नाइट पावर प्रोजेक्ट भादरेस ने 2008 में काम प्रारंभ किया तो हाइवे के नीचे भी कोयला होने से जमीन से कोयला निकाला जाना था लिहाजा 28 किमी हाइवे को घुमाने का प्रस्ताव लिया गया।

करीब आठ साल बाद चूली, भादरेश वाया बिशाला से भाडखा तक 28 किमी सड़क मार्ग को हाइवे अथॉरिटी की मंजूरी मिलने के बाद वर्ष 2017 में निर्माण का टेण्डर जारी हुआ।

इसके लिए निजी जमीन की अवाप्ति की प्रक्रिया तो कर ली गई लेकिन सरकारी जमीन अवाप्ति को लेकर फाइल इधर से उधर होने लगी। लोकसभा चुनाव तक समय ले लिया गया, जमीन अवाप्ति नहीं होने पर टेण्डर निरस्त हो गया।

अब अवाप्त की लेकिन दो खसरे बकाया

लोकसभा चुनाव की आचार संहिता के बाद टेण्डर निरस्त हो गया तो विभाग ने जमीन अवाप्त कर ली लेकिन इसमें भी भाडखा और जालीपा के दो खसरों में गैर मुमकिन आगोर की जमीन आ गई है। नियमानुसार गैर मुमकिन आगोर का आवंटन नहीं हो सकता, लिहाजा इसके लिए संबंधित को अब उच्चतम न्यायालय से विशेष अनुमति लेनी होगी।

यों चली प्रक्रिया

– 2008 में तैयार हुआ प्रस्ताव
– 2015 में एनएचआइ को राजवेस्ट ने दिया बजट

– 2016 में डायवर्जन की मिली मंजूरी

– 2017 में हुआ 160 करोड़ का टेण्डर

– भूमि अवाप्त नहीं हुई है,

हाईवे डायवर्जन की फाइल जिला कलक्टर के पास है। 15 हैक्टेयर सरकारी जमीन अवाप्त होनी है। उसके बाद टेण्डर प्रक्रिया होगी। – अनूपसिंह, सहायक अभियंता, एनएचआई, बाड़मेर विंग

अभी पेंडिंग
गैर मुमकिन आगोर के कारण अभी मामला पेंडिंग है। शेष भूमि अवाप्त कर ली गई है। सक्षम स्तर से मंजूरी पर ही कार्य होगा।

– राकेश कुमार शर्मा, अतिरिक्त जिला कलक्टर, बाड़मेर

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Source: Barmer News

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